८७- विनय कुमार शुक्ला, प्रा० वि० सराय प्रतापिन, बिहार, प्रतापगढ़

मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से अपने अनमोल रत्नों के रत्न भाई विनय कुमार शुक्ला जी से करा रहे हैं। जिन्होंने शिक्षा को परिणाम तक पहुँचाने का अपनी जिद्द से वह असम्भव सा लगने वाला प्रयास हम सबको कर दिखाया। जो हम जैसे बहुत से शिक्षक, सिर्फ असम्भव ही कह सकते थे। लेकिन यही वह सत्य है जो बेसिक शिक्षा को शून्य से निकाल कर शिखर की ओर पहुँचा सकता है जो हमारे विनय जी ने हम सब को मार्ग दिखाया है। सकारात्मक सोच,  कर्तव्यनिष्ठा और कुछ करने की जिद्द।
तो आइये जानते है विनय जी द्वारा किये बृहद प्रयासों की लघु एवं अनुकरणीय कथा:-


हमारी प्रथम नियुक्ति प्रा० वि० पड़िया वि० ख०- बेलहर
सन्त कबीर नगर में 15 दिसम्बर 2009 को हुई। अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के बाद 21 सितम्बर -2013 को वर्तमान विद्यालय पर आया, तो इंचार्ज अरविन्द जी थे और विद्यालय 2013 में ही बना था, कई चुनौतियाँ थीं सामने, सबसे बडी चुनौती बच्चों को विद्यालय लाना, क्योंकि बहुत ही इंटीरियर इलाका है जहाँ आप केवल बाइक से जा सकते हैं। एक प्राइवेट बस दिन में 2 बार जाती है और बरसात में तो हाल बद से बदतर हो जाता है लेकिन अपना मानना है कि जब सीमा पर खड़ा फौजी कोई परवाह न करता तो हम तो अध्यापक हैं।
अरविन्द जी का सहयोग लेकर पढ़ाई का तरीका बदला खेल विधियों और गतिविधियों से पढ़ाई शुरू की गयी।
घर घर सम्पर्क शुरू हुआ, शुरूवात में बड़ी दिक्कतें आयीं लोग घर का दरवाजा ही न खोला करते थे। हम लोग आपस में मजाक भी करते थे की हम अध्यापक न होकर सेल्समैन ही हो गए हैं।
लेकिन यह जिद काम आयी और बच्चे आना शुरू हुए।
फिर इन सब में सोशल मिडिया ने बड़ा सहारा दिया और मार्गदर्शन किया। विशेषकर आशुतोष आनन्द अवस्थी, अल्पा निगम, आदित्य सोमवंशी जी ने, इन लोगों ने अपने मार्गदर्शन से विद्यालय को उन्नत बनाने का मार्ग दिखाया।
विद्यालय में ग्राम सभा स्तर की कई प्रतियोगितायें आयोजित की गयी जिनमें ग्राम सभा के चारों प्राथमिक विद्यालयों ने प्रतिभाग किया, इन सबसे गाँव वालों पर सकारात्मक असर पड़ा और उसका असर ये है कि लोग प्राइवेट विद्यालयों से अपने बच्चों का नाम कटवा के यहाँ लिखवा रहे हैं। विद्यालय में इस समय 3 अध्यापक हैं।
इंचार्ज श्री अरविन्द जी
मैं और श्री वेद प्रकाश जी
विद्यालय में नवोदय की तैयारी के लिए अलग से क्लास चलती है। विद्यालय के बच्चे गतिविधियों खेल सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी में आगे रहते हैं।
जब विद्यालय आया तो  2 बच्चे काफ़ी चुनौतीपूर्ण थे।
एक कविता सरोज जिसने मेरे हाथ में दांत से काट लिया था क्योंकि उसने एक बच्चे की कलम चुराकर अपने बैग में भर ली थी और मैं उसे निकाल रहा था। आज वो बिटिया मेरे विद्यालय की स्टार है क्योंकि ये ज़िद हो गयी थी कि इस बच्ची को सही राह दिखानी ही है।
दूसरी रूही सरोज जो विद्यालय आती ही न थी। वो कंचे खेलती बकरियां चराती थी। लेकिन जब उसने विद्यालय आना शुरू किया तो आज ये हाल है कि विद्यालय की सबसे अच्छी विद्यार्थी है।
विद्यालय में हर विषय की पढ़ाई अच्छे से तो होती ही है साथ ही साथ सामान्य ज्ञान पर विशेष बल दिया जाता है।
विद्यालय के छोटे बच्चे भी राज्य और राजधानी बता सकते हैं।
विनय कुमार शुक्ला(स०अ०)
प्रा० वि० सराय प्रतापिन
विकास खण्ड- विहार
जनपद- प्रतापगढ़
मित्रो आपने देखा कि विनय शुक्ला जी ने बेसिक शिक्षा को असम्भव नाम की दृष्टि से देखने वालों को वह दृष्टि देने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसे यदि हम सब अपना लें तो हम सब के कार्यों का प्रकाश सम्पूर्ण बेसिक शिक्षा को प्रकाशित कर सकता है।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से आदर्श अनमोल रत्न शिक्षक भाई विनय शुक्ला जी को सहयोगी विद्यालय परिवार के उच्चतम शिखर की ओर अग्रसर होने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
“शिक्षण संवाद„ में प्रकाशित करने के लिए विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों की फोटो और विवरण, सक्सेज स्टोरी के साथ WhatsApp no- 9458278429 पर भेजें।
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साभारः
मिशन शिक्षण संवाद सहयोगी विमल कुमार
कानपुर देहात

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