९३- अनमोल रत्न राजीव सिंह चौहान, प्रा० वि० पिरोजापुर, बावन, हरदोई
मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- हरदोई के आदर्श शिक्षक भाई राजीव सिंह चौहान जी से करा रहे हैं। जिन्होंने ने अपनी सकारात्मक सोच से यह स्पष्ट कर दिया कि--
“हम बेसिक शिक्षा के मतवाले है, तस्वीर बदलकर मानेंगे„
आपने अपने शिक्षक सेवा में लगातार एक के बाद एक तीन विद्यालयों को अपने कार्य, कला, कौशल और समर्पण से पहचान दिलाई।
जहाँ आज बेसिक शिक्षा अनियमितता के चक्रव्यूह में फंसी है, वहाँ के चक्रव्यूह से शायद ही कोई वीर अभिमन्यू सुरक्षित निकल सके। लेकिन धन्य हैं हमारे मिशन शिक्षण संवाद के अनमोल रत्न जो प्रत्येक बाधा को पार कर बेसिक शिक्षा के हित और सम्मान की रक्षा के लिए समर्पित हैं।
तो आइये जानते है कि आप कैसे और कितनी मेहनत से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का प्रतीक बनाया:---
मैं राजीव सिंह चौहान प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय पिरोजापुर विकास खण्ड-बावन हरदोई।
मेरी पहली नियुक्ति जुलाई 2009 में ब्लॉक टोडरपुर में हुई वहीँ से मैंने वदलाव की शुरुआत की। इसके बाद जूनियर हाईस्कूल surjeepur से शुरुआत की 10 महीने के अपने कार्यकाल में विद्यालय के भौतिक स्वरुप वृक्षारोपड़ , बच्चों के खेलकूद से लेकर अन्य शैक्षिक गतिविधियों पर ध्यान दिया। यह विद्यालय संचालन के लिए मिला था।
थोड़े समय बाद मैं वहां से वापस दूसरे ब्लॉक बावन चला गया। जहाँ पर सहायक बन कर रहा। चूँकि वहाँं हेड टीचर थे। 2014 दिसम्बर में हेड टीचर बनकर फिर ब्लॉक टोडरपुर में प्राथमिक विद्यालय jashrathpur पहुंचा। 40 साल पुराना विद्यालय टूटी फर्श खिड़कियां बच्चों की निम्न संंख्या बहुत से बिंदु जिनको देखकर मन खिन्न हो गया।
पर ठान लिया की इसको बदलना है। काम शुरू किया लोगों ने उपहास उड़ाया।अपने निवास स्थान से 40 km दूर का विद्यालय था। बहुत मेहनत करनी पड़ी।खाना व पूरा मैनेजमेंट प्रधान के हाँथ में होते हुए भी। अपने पास से कार्य शुरु करवाया। 2 कमरों की फर्श नयी डलवाई गेट सही करवाया। टूट -फुट प्लास्टर, लेट्रिन बाथरूम की मरम्मत, वृक्षारोपड़, क्यारी निर्माण कराया। बच्चों की समितियां बनवाईं। सभी कामों में बच्चों का सहयोग लिया। थोड़े समय के बाद बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई।बच्चे रुचिपूर्वक विद्यालय आने लगे। बच्चों को आई कार्ड स्वेटर बेल्ट आदि की का वितरण किया गया। धीमे धीमे गाँव वालों का सहयोग भी मिलने लगा।
बच्चे खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभाग किये न्याय पंचायत स्तरीय प्रतियोगिताओं में विजयी भी हुए।।
थोड़े ही समय में विद्यालय ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान पर चयनित हुआ। जो विद्यालय ब्लॉक के सबसे खराब विद्यालयों में गिना जाता था। एक वर्ष के अंदर वह विद्यालय ब्लॉक का 1 nomber का विद्यालय हुआ। BEO sir ने मेरा चयन ब्लॉक स्काउट मास्टर के पद पर किया। इसके बाद ब्लॉक की टीम के साथ जिला मंडल व् स्टेट लेबल खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया। तथा बच्चों के प्रयास से हर जगह अपना नाम किया। जिला स्तरीय आदर्श विद्यालय चयन में विद्यालय 3 rd पोजीशन पर रहा। पर खुशी इस बात की थी 3rd ही सही पर कहाँ से शुरुआत की थी और 4000 विद्यालयों में तीसरे स्थान पर। 20 जुलाई 2016 को मेरा ट्रांसफर प्राथमिक विद्यालय पिरोजापुर विकास खण्ड बावन में हुआ। फिर वही पुरानी कहानी संघर्ष के साथ शुरू होती है।विद्यालय एक दम जर्जर 6 कमरों की फर्श टूटी बहुत बड़े बड़े गड्ढ़े ऑफिस एक दम खंडहर, सामान के नाम पर कुछ नहीं। मन इतना खराब हो गया। कि क्या करूँ अभी पुराने विद्यालय में पैसा लगाकर आया हूँ। उसको मेंटेन किया अब ये। एक भी बच्चा ड्रेस में नहीं 100 के सापेक्ष 20 बच्चे। गन्दा प्रांगड़ काई लगी दीवारें। मन नहीं माना पैसे उधार लेकर काम शुरू कराया। 6 कमरों की फर्श 2 लेट्रिन का निर्माण टैंक के साथ। सभी कमरों की छतों पर पनारा रेलिंग बनवाकर लगवाये। सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक पिछले 4 महीने से विद्यालय में संघर्षरत हूँ।
विद्यालय का पहला प्रोग्राम 15 अगस्त था। जिसमे मैंने कहा था कि दिसम्बर तक विद्यालय को बदल दूंगा।जिसकी शुरुआत अगले दिन से शुरू की। बच्चों को ड्रेस् के साथ टाई बेल्ट आई कार्ड भी वितरितकिया। थोड़े ही समय में बच्चों में बदलाव दिखने लगा। बच्चे विद्यालय आने लगे। सारे कार्यक्रमों को विधिवत करना शुरू किया।mdm की व्यवस्था अच्छी की। बच्चों के खेलकूद की व्यवस्था की। बच्चे ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता से लेकर जिला स्तर तक विजयी रहे। वह विद्यालय जो ब्लॉक का सबसे खराब विद्यालय गिना जाता था। अब वह भी अच्छे विद्यालयों की श्रेणी की ओर अग्रसर है।
बालदिवस के कुछ द्रश्य बच्चों द्वारा स्टाल लगाकर व् अन्य कार्यक्रम भी प्रस्त्तुत किये गए। विद्यालय का अपना किचन गार्डन भी तैयार हो गया।
पर ठान लिया की इसको बदलना है। काम शुरू किया लोगों ने उपहास उड़ाया।अपने निवास स्थान से 40 km दूर का विद्यालय था। बहुत मेहनत करनी पड़ी।खाना व पूरा मैनेजमेंट प्रधान के हाँथ में होते हुए भी। अपने पास से कार्य शुरु करवाया। 2 कमरों की फर्श नयी डलवाई गेट सही करवाया। टूट -फुट प्लास्टर, लेट्रिन बाथरूम की मरम्मत, वृक्षारोपड़, क्यारी निर्माण कराया। बच्चों की समितियां बनवाईं। सभी कामों में बच्चों का सहयोग लिया। थोड़े समय के बाद बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई।बच्चे रुचिपूर्वक विद्यालय आने लगे। बच्चों को आई कार्ड स्वेटर बेल्ट आदि की का वितरण किया गया। धीमे धीमे गाँव वालों का सहयोग भी मिलने लगा।
बच्चे खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभाग किये न्याय पंचायत स्तरीय प्रतियोगिताओं में विजयी भी हुए।।
थोड़े ही समय में विद्यालय ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान पर चयनित हुआ। जो विद्यालय ब्लॉक के सबसे खराब विद्यालयों में गिना जाता था। एक वर्ष के अंदर वह विद्यालय ब्लॉक का 1 nomber का विद्यालय हुआ। BEO sir ने मेरा चयन ब्लॉक स्काउट मास्टर के पद पर किया। इसके बाद ब्लॉक की टीम के साथ जिला मंडल व् स्टेट लेबल खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया। तथा बच्चों के प्रयास से हर जगह अपना नाम किया। जिला स्तरीय आदर्श विद्यालय चयन में विद्यालय 3 rd पोजीशन पर रहा। पर खुशी इस बात की थी 3rd ही सही पर कहाँ से शुरुआत की थी और 4000 विद्यालयों में तीसरे स्थान पर। 20 जुलाई 2016 को मेरा ट्रांसफर प्राथमिक विद्यालय पिरोजापुर विकास खण्ड बावन में हुआ। फिर वही पुरानी कहानी संघर्ष के साथ शुरू होती है।विद्यालय एक दम जर्जर 6 कमरों की फर्श टूटी बहुत बड़े बड़े गड्ढ़े ऑफिस एक दम खंडहर, सामान के नाम पर कुछ नहीं। मन इतना खराब हो गया। कि क्या करूँ अभी पुराने विद्यालय में पैसा लगाकर आया हूँ। उसको मेंटेन किया अब ये। एक भी बच्चा ड्रेस में नहीं 100 के सापेक्ष 20 बच्चे। गन्दा प्रांगड़ काई लगी दीवारें। मन नहीं माना पैसे उधार लेकर काम शुरू कराया। 6 कमरों की फर्श 2 लेट्रिन का निर्माण टैंक के साथ। सभी कमरों की छतों पर पनारा रेलिंग बनवाकर लगवाये। सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक पिछले 4 महीने से विद्यालय में संघर्षरत हूँ।
विद्यालय का पहला प्रोग्राम 15 अगस्त था। जिसमे मैंने कहा था कि दिसम्बर तक विद्यालय को बदल दूंगा।जिसकी शुरुआत अगले दिन से शुरू की। बच्चों को ड्रेस् के साथ टाई बेल्ट आई कार्ड भी वितरितकिया। थोड़े ही समय में बच्चों में बदलाव दिखने लगा। बच्चे विद्यालय आने लगे। सारे कार्यक्रमों को विधिवत करना शुरू किया।mdm की व्यवस्था अच्छी की। बच्चों के खेलकूद की व्यवस्था की। बच्चे ब्लॉक स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता से लेकर जिला स्तर तक विजयी रहे। वह विद्यालय जो ब्लॉक का सबसे खराब विद्यालय गिना जाता था। अब वह भी अच्छे विद्यालयों की श्रेणी की ओर अग्रसर है।
बालदिवस के कुछ द्रश्य बच्चों द्वारा स्टाल लगाकर व् अन्य कार्यक्रम भी प्रस्त्तुत किये गए। विद्यालय का अपना किचन गार्डन भी तैयार हो गया।
★ विशेषताएं★
1-,बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने हेतु अभिवावकों से सम्पर्क।
2.बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षण।
3- नियमित विद्यालय आने वाले बच्चों को प्रोत्साहन।
4-समय समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन।
5- बच्चों के खेलकूद की समुचित व्यवस्था।
6-बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑडियो वीडियो टेक्नोलॉजी का प्रयोग।
7- अपर जिला अधिकारी महोदय हरदोई द्वारा पुरस्कार प्राप्त।
बहुत सारी कमियाँ भी है। पर अभी उन पर काम जारी है। बच्चों की गुणवत्ता पर विशेष रूप से। ज्यादा क्या लिखूं पर इरादा पक्का है व्यवस्था बदलनी है जहां भी रहूं। चाहें 1 दिन 1 महीने या एक साल। मेरा ये तीसरा विद्यालय है जिसमे मैंने जी तोड़ मेहनत की 4 महीने में एक भी दिन की छुट्टी नही ली sunday और छुट्टी वाले दिन भी विद्यालय खुला और काम हुआ।
राजीव सिंह चौहान
प्रा० वि० पिरोजापुर
विकास खण्ड- बावन
जनपद- हरदोई
प्रा० वि० पिरोजापुर
विकास खण्ड- बावन
जनपद- हरदोई
मित्रो आपने जाना कि कैसे राजीव जी ने अपने विद्यालय को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत और लगन की और कर रहें हैं। ऐसा शायद बेसिक शिक्षा का शिक्षक ही कर सकता है कि वह अपने विभाग के सम्मान को बचाने के लिए अपने वेतन को खर्च करने से परहेज करता हैं कष्ट तब होता है जब सार्वजनिक मंचों से माननीयों द्वारा बेसिक शिक्षा के शिक्षकों को नसीहत और कलंकित किया जाता है।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बेसिक शिक्षा के हित और सम्मान की रक्षा करने लिए भाई राजीव जी एवं विद्यालय परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
27/11/2016
विमल कुमार
कानपुर देहात
27/11/2016
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