१३१- सुनीता कुमारी, पू०मा०वि० अजनौठी, छाता, मथुरा

मित्रो आज हम आपका परिचय जनपद- मथुरा से सकारात्मक सोच की प्रतीक बनी बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न बहन सुनीता कुमारी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच के संकल्प से अपने विद्यालय को बहुत ही कम समय में परिवर्तन और पहचान का प्रतीक बनाकर हम सबके लिए अनुकरणीय बना दिया। आपकी टी० एल० एम० निर्माण की विशिष्ट कला ने विद्यालय और शिक्षण को बच्चों के लिए बहुत ही रोचक और आकर्षक बना दिया।

आइये जानते है बहन जी की विद्यालय के विकास में सकारात्मक सोच की प्रेरक पहल को:--

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मैं *सुनीता कुमारी*, इ०प्र०अ०, पू०मा०वि० अजनौठी, ब्लाॅक- छाता, जनपद- मथुरा में कार्यरत हूँ। इस विद्यालय में मेरी नियुक्ति दिनांक 23 सितम्बर 2015 को हुई थी। मेरे कार्यभार ग्रहण से पहले यहाँ एक अन्य अध्यापक अस्थाई व्यवस्था पर कार्यरत थे। किन्तु मेरे कार्यभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद ही वह अपने मूल विद्यालय में चले गए।
जब मैंने इस विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया था, तब इस विद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं थी। ब्लैक-बोर्ड, फर्श, दीवारें व छत आदि अत्यधिक खराब स्थिति में थे। विद्यालय की खिड़कियाँ टूटी-फूटी थीं। शौचालय के नाम पर गंदगी और खण्डहर था। विद्यालय में नामांकित 28 विद्यर्थियों के सापेक्ष 6-7 विद्यार्थी ही उपस्थित होते थे। जो बच्चे आते थे, वह भी बिना किताब-कॉपी-पेन के आते थे और मध्यान्ह भोजन के समय तक अपने-अपने घरों में चले जाते थे।
अतः शुरुआत में मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि छात्रों की उपस्थिति अधिक व नियमित हो और उनका ठहराव अवकाश के समय तक हो।
विद्यालय दो तरफ से तालाब से घिरा हुआ है, इसकी वजह से गाँववासियों द्वारा विद्यालय परिसर एवं उसके आस-पास शौच किए जाने के कारण वहाँ बदबू एवं गन्दगी का अम्बार था। इसके समाधान के लिए मैंने विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों का सहयोग लिया और समिति के सभी सदस्यों को इस कार्य मे सहयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। विद्यालय परिवेश को विद्यालय जैसा बनाने के लिए परिवेश की साफ-सफाई कराई। खिड़की और शौचालय को ठीक करवाया।
इसके बाद घर-घर जाकर अभिभावकों से मिल कर उनको समझाया और विश्वास दिलाया कि आप बच्चे नियमित भेजें। गाँव में मन्दिर पर लगने वाली चौपाल में बैठने वाले बड़े-बुजुर्गों को भी कहा कि वह अपने आसपास के बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजें। उनको पढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी है।
जल्दी ही इन सब प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा। धीरे-धीरे बच्चों ने आना शुरू किया। आने वाले बच्चों से बातों-बातों में उनकी पसन्दीदा गतिविधियों, रुचियों एवं कौशलों के बारे में जाना और उनमें प्रतियोगिता की भावना के विकास हेतु उनके अनुरूप ही गीत, कविता, कहानियां, खेल-कूद, अन्ताक्षरी आदि की प्रतियोगिता करा कर उनको उपहार स्वरूप काॅपी, पेन, रंग, ज्योमेट्री-बाॅक्स आदि वितरित किए। जिससे बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और कुछ ही समय में विद्यालय में विद्यर्थियों की नियमित उपस्थिति 90 प्रतिशत तक हो गयी। इसके साथ ही प्रत्येक माह पढ़ाई-लिखाई एवं विभिन्‍न गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरुस्कार देने की शुरुआत भी की गई, जो आज भी अनवरत जारी है। इससे बच्चों में स्वस्थ एवं सकारात्मक प्रतियोगिता की भावना उत्पन्‍न हुई है और वह एक-दूसरे से बेहतर करने का प्रयास करने लगे हैं।
प्रत्येक दिन बच्चों को जो भी पढ़ाया जाता है उसका अंग्रेजी रूपान्तर भी बताने की कोशिश की जाती है, जिससे उनके हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखने एवं पढ़ने से उनके शब्दकोष में भी वृद्धि हुई है।
इसके लिए मेरे द्वारा बनाई गई विभिन्‍न शिक्षण-अधिगम-सामग्री (TLM) को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में बनाया गया है। इस सभी सामग्री को मैंने विद्यालय में कक्षाओं में लगाया है, जिसमें सभी विद्यर्थियों ने बड़े ही उत्साह से मेरा पूरा सहयोग किया। सत्र 2016-17 में मेरे द्वारा विद्यर्थियों को जैकेट का वितरण किया गया, जिसे पाकर सभी विद्यार्थी प्रफुल्लित हुए। जिसे पहन कर वह सभी बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं।
जैसा कि सर्वविदित है कि विद्यालय की उन्नति उसके विद्यर्थियों के प्रदर्शन पर निर्भर होती है और यह सब जल्दी ही देखने को भी मिला, जब अक्टूबर 2016 में ब्लाॅक स्तरीय खेल-कूद प्रतियोगिता में पहली बार हमारे विद्यालय के बच्चों ने प्रतिभाग किया और विभिन्‍न खेलों में उनका प्रदर्शन इस प्रकार रहा---

👉 गोला फेंक (बालक वर्ग)- प्रथम
👉गोला फेंक (बालिका वर्ग)- प्रथम
👉खो-खो (बालक वर्ग)- द्वितीय
👉कबड्डी (बालक वर्ग)- द्वितीय
👉दौड़- 100 मी० (बालिका वर्ग)- द्वितीय
👉दौड़- 200 मी० (बालक वर्ग)- तृतीय
👉दौड़- 400 मी० (बालिका वर्ग)- प्रथम
👉दौड़- 600 मी० (बालिका वर्ग)- प्रथम

इन प्रतियोगिताओं में पुरुस्कार प्राप्त करना मेरे और बच्चों दोनों के लिए सम्मान और प्रोत्साहन का अवसर था।
विद्यालय में प्रत्येक दिन अन्तिम एक घण्टे में बच्चों को शिल्प-कार्य कराया जाता है, जिससे बच्चों की सृजनात्मक सोच को मूर्त रूप मिलता है और उनके कौशल विकास में सहायता मिलती है। इस कार्य के उपरान्त जो भी वस्तुएं बनाई गयी हैं उनको विद्यालय में ही प्रदर्शित किया गया है। सभी बच्चे अब विद्यालय प्रांगण एवं कक्षा-कक्षों को साफ-सुन्दर रखने के लिए उत्साहपूर्वक सहयोग करते हैं। बच्चों में अब पढ़ाई के प्रति भी उत्सुकता बढ़ने लगी है तथा अभिभावकों का विश्वास भी बढ़ गया है और उन्हें लगने लगा है कि बच्चे अब विद्यालय में प्रतिदिन कुछ-न-कुछ नया सीखने और करने लगे हैं।
विद्यालय में आए इस गुणात्मक सकारात्मक परिवर्तन के लिए सभी साथियों, ग्रामवासियों, अभिभावकों, विद्यालय प्रबन्ध समितियों के सदस्यों तथा ग्राम-प्रधान द्वारा मेरे कार्यों एवं प्रयासों के लिए की गई प्रशंसा मुझे गौरवान्वित करती है और यही हमारे विद्यालय के लिए और मेरे लिए सर्वोत्तम पुरुस्कार है।

और अन्त में सिर्फ इतना ही--

*एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो...*
*कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता...*

मित्रो आपने देखा कि किस प्रकार बहन जी ने विद्यालय विकास के लिए अपने आसमानी हौसले के साथ विद्यालय को शून्य से शिखर की ओर पहुँचा दिया, जो हम सब के लिए अनुकरणीय और गौरान्वित करने वाला है।

मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन सुनीता कुमारी जी और उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_

👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें।

☀ आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_

साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_
 
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
01/03/2017

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