९९- आराधना दुबे, प्रा० वि० केराकतपुर, काशी विद्यापीठ वाराणसी

मित्रो आज के परिचय में जनपद- वाराणसी से आराधना दुबे (प्र० अ०) प्रा० वि० केराकतपुर, काशी विद्यापीठ वाराणसी। जाने आपके द्वारा विद्यालय में परिवर्तन के लिए किये गये सराहनीय प्रयासों को:--


मैं अाराधना दूबे प्रा०वि० केराकतपुर में जनवरी-२०१० से प्र०अ० के पद पर कार्यरत हूँ । प्र०अ० के पद पर अाने के बाद मैंने सबसे पहले पढ़ाई के पुराने तौर तरीके में परिवर्तन किया। मैंने प्रार्थना के बाद १ घंटे की असेम्बली की परम्परा प्रारम्भ की जिसमे कक्षा-१ से 
५ तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया गया।
इसमें बच्चों को हिन्दी अंग्रेजी तथा सस्कृत में प्रार्थना करना, सरस्वती वंदना तथा गायत्री मंत्र का सस्वर पाठ कराना , अंग्रेजी में my self का अभ्यास करवाना , गणित में इकाई , दहाई , सैकड़ा की पुरानी पद्धति का ज्ञान कराना , सामान्य ज्ञान की शिक्षा देना , अंग्रेजी में दिन, महीनों का नाम याद कराना। इसके उपरान्त धीरे धीरे प्रयास करके उनसे याद की हुई चीजों को लिखवाना , चित्रों के माध्यम से वस्तुओं ,फलों तथा जानवरों के बारे में जानकारी देना तथा याद करा कर उसे लिखवाना इत्यादि की दिशा में प्रयास किया।
         स्कूल की भौतिक हालत दयनीय थी। काफी प्रयास के बाद विद्यालय में  जलनिगम द्वारा हैन्डपम्प लगवाया मगर जल निकासी के लिये चबूतरा बनवा कर पाईप द्वारा सीवर तक जोड़ना अपने खर्च पर कराना पड़ा । मैंने अपने खर्च पर विद्यालय की टूटी चहारदिवारी की मरम्मत करवाई तथा विद्यालय भवन में वाईट सिमेन्ट की जगह प्लास्टिक पेन्ट करवाना शुरू किया।
      हमारे विद्यालय की सहायक अध्यापिकाओं नें भी मेरा भरपूर सहयोग किया।उन्हों ने बहुत ही अनुशासित ढंग से पढ़ाई के कार्यों को अंजाम दिया।
      हम सभी के सम्मिलित प्रयास के फलस्वरूप दिनाँक ६/८/१६ को बेसिक शिक्षाधिकारी द्वारा निरिक्षण के दौरान कक्षा १ व २ की दो बालिकाओं को पुरस्कृत किया गया। दिनाँक २९/११/१६ को डिटाल स्वच्छ बनेगा इण्डिया स्वच्छता अभियान के लिए मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मुझे सम्मानित तथा पुरस्कृत किया गया।
    ये मेरे प्रयासों का अन्त नहीं है। अभी मुझे अपने विद्यालय तथा छात्रों के बौद्धिक विकास के लिये और भी बहुत से प्रयास करने हैं।
आराधना दुबे वाराणसी
मित्रो आपने देखा कि यदि हमें करना है तो कुछ न कुछ रास्ता जरूर निकलता है बाधाएं जाहे जितनी आये मंजिल मिल कर रहती है।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन जी एवं सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
05/01/2017

Comments

Total Pageviews