१२२- देवकान्त तिवारी, प्रा० वि० बबई, अमौली, फतेहपुर

★सत्यमेव जयते★

मित्रो आज हम मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा के महासागर से एक ऐसे अनमोल रत्न शिक्षक साथी से परिचय करा रहे हैं जिन्होंने आदर्श वाक्य *संघर्ष ही जीवन है* और *सत्यमेव जयते* पर अपने शिक्षक जीवन की प्रयोगशाला में प्रयोग कर सिद्ध किया कि यह दोनों वाक्य कहने के लिए ही नहीं वास्तविक भी हैं। क्योंकि आज सत्ता और व्यवस्था का गठबंधन जिस प्रकार काम करने वाले ईमानदार शिक्षक को अपने चक्रव्यूह में फंसा कर परेशान करते हैं वहीं आपने सकारात्मक सोच की शक्ति से सत्य, साहस और संघर्ष के सहयोग से वह कर दिखाया, जहाँ आज भी हजारों शिक्षक चाहते हुए भी अव्यवस्थाओं से भयवीत होकर केवल नौकरी और जीवन रक्षक की भूमिका अदा कर रहे हैं। लेकिन हमारे अनमोल रत्न शिक्षक भाई देवकान्त तिवारी जी ने अपने कर्तव्य के आगे सभी अव्यवस्थाओं को व्यवस्थाओं में बदल दिया। मिशन शिक्षण संवाद ऐसे सत्य और संघर्ष के प्रतीक भाई को *नमन* करता है।

तो आइये जानते हैं भाई के अदम्य साहस और संघर्ष की कहानी:-

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मैं देवकान्त तिवारी पुत्र श्री राम किशोर तिवारी ,ग्राम- नोनारा ,पोस्ट-बुढ़वाँ, विकास क्षेत्र -अमौली, जिला- फतेहपुर का मूल निवासी हूँ। शिक्षक बनने का सपना मेरा जन्म से ही रहा है। वह सपना दिनांक 11 फरवरी 2009 को पूरा हुआ क्योंकि उक्त दिनांक को प्राथमिक विद्यालय- कोटिया चित्रा, विकास क्षेत्र- ऊंचाहार, जनपद- रायबरेली में सहायक अध्यापक के पद में प्रथम कार्यभार ग्रहण किया। मैंने लगभग 7 वर्ष 6 माह का शिक्षण कार्य जनपद रायबरेली के दो विद्यालयों में किया है। इसमें प्राथमिक विद्यालय कोटिया चित्रा, ऊंचाहार, रायबरेली में दिनांक 11 फरवरी 2009 से 16 जुलाई 2014 तक लगभग साढ़े 5 वर्ष  कार्यरत रहा। इस विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाध्यापक श्री राज नारायण तिवारी जी के दिनांक 30 जून 2009 को सेवानिवृत्त हो जाने के कारण  मैंने दिनांक 1 जुलाई  2009 को इस विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। जब मैंने प्राथमिक विद्यालय कोटिया चित्रा में कार्यभार ग्रहण किया तो यह विद्यालय ब्लॉक-ऊंचाहार के सबसे बदनाम विद्यालयों में गिना जाता था। जिसके कारण मेरे अन्य साथी अध्यापकों द्वारा किसी अन्य विद्यालय में स्थानांतरण करवाने की सलाह दी गई। वहां पर मुझे बहुत ही संघर्षों का सामना करना पड़ा। ग्राम प्रधान की दबंगई चलती थी, मेरे प्रधानाध्यापक के साथ विद्यालय परिसर के अंदर गाली गलौज की जाती थी।  हमारे विरुद्ध ब्लॉक तत्कालीन विभागीय अधिकारी भी ग्राम प्रधान का सहयोग कर रहे थे। विद्यालय में डर व अव्यवस्था का माहौल था। विद्यालय में लगभग 250 बच्चे नामांकित थे। उनमें से केवल 50-60 बच्चे औसतन विद्यालय में प्रतिदिन उपस्थित रहते थे। विद्यालय में बाउंड्री वाल नहीं थी विद्यालय के बच्चों के लिए टाट पट्टी की भी समुचित व्यवस्था नहीं थी। विद्यालय में आफिस की खिड़की- दरवाजों के अलावा अन्य सभी कमरों के दरवाजे खिड़की टूटे-फूटे अस्त-व्यस्त पड़े थे। फर्नीचर में केवल प्रधानाध्यापक  की कुर्सी व मेज सुरक्षित रूप से चार्ज में मुझे मिले थे। MDM की व्यवस्था पूर्ण रूप से ग्राम प्रधान के अधीन थी। जिसमें ग्राम प्रधान MDM न बनवाकर तत्कालीन प्रधानाध्यापक के ऊपर अनर्गल दबाव बनाकर धमकी  देकर विद्यालय की mdm रजिस्टर मे फर्जी बच्चों की संख्या अंकित करवाई जाती थी। मेरे ऊपर भी अनर्गल दबाव बनाया गया तो मैंने उपरोक्त व्यवस्था का विरोध कर दिया। अतः मुझे जान से मारने की धमकी दी जाने लगी तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी भी मुझे उसी व्यवस्था के अनुरुप चलने को कहने लगे। ग्राम प्रधान की उक्त अनर्गल कार्य को मेरे द्वारा करनें से मना करने के कारण ग्राम प्रधान द्वारा मेरे ऊपर हरिजन एक्ट वह महिला उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज करवा दी गई और लेबर कोर्ट में मेरे खिलाफ एक मुकदमा झूठा मुकदमा पंजीकृत करवा दिया गया।इसके अतिरिक्त अपने लोगों से मिलकर ग्राम प्रधान ने लगभग 20 झूठी शिकायतें मेरे खिलाफ करवाईं। मैं जनपद फतेहपुर का था अतः जनपद रायबरेली में मेरा कोई न होने के कारण अत्यन्त परेशानियों का सामना करता रहा।

उपरोक्त के साथ-साथ विद्यालय में सभी अध्यापक मिलजुलकर मेहनत करने लगे। विद्यालय में नामांकित बच्चियों के घर-घर जाकर मैंने संपर्क करना शुरु कर दिया और उनके अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया। जिसके परिणाम स्वरुप अभिभावक अपने अपने बच्चों को अधिक से अधिक विद्यालय में भेजने लगे अभिभावकों की मासिक मीटिंग में भी अभिभावकों की अधिक से अधिक शरीर भागिता होनें लगी। विद्यालय में मैंने *"पुरस्कार एवं प्रोत्साहन नीति"* का प्रयोग किया जिसका बहुत ही उत्साहजनक परिणाम मिला। जिसमें अनेक अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छे बच्चों को प्रोत्साहित किया जाने लगा। जैसे जो बच्चे पूरे माह बिना अनुपस्थित हुए विद्यालय में 100% उपस्थित रहते तो आगामी माह में अभिभावकों की मासिक मीटिंग में उन बच्चों को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया जाता। सुलेख प्रतियोगिता, गणित प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, गीत संगीत प्रतियोगिता, खेलकूद प्रतियोगिता आदि अनेक अलग-अलग प्रतियोगिताओं में अच्छे बच्चों को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया जाने लगा और सभी नामांकित बच्चों के अभिभावकों के मोबाइल नंबर हासिल कर प्रति दिन अनुपस्थित रहनें वाले बच्चों के घर फोन कर बच्चे के न आने की  जानकारी प्राप्त की जाती थी। जिसके परिणाम स्वरुप विद्यालय में उपस्थिति 80% से 90% के बीच औसतन रहने लगी।

एक अलग सुधारात्मक कार्यक्रम में कक्षा 3 ,4, 5 के बच्चों का "बेसिक ज्ञान परीक्षा" द्वारा टेस्ट लेकर कमजोर बच्चों को अलग  छांटकर एक अलग सरल पाठ्यक्रम तैयार कर विद्यालय में नियमित एक घंटा प्रतिदिन टेस्ट लिया जाने लगा। उपरोक्त पाठ्यक्रम में गणित, हिंदी, अंग्रेजी का समावेश किया गया। जिसके परिणाम स्वरुप कमजोर बच्चे अपनी कक्षा अनुरूप शैक्षिक संप्राप्ति प्राप्त कर अच्छे बच्चों के साथ मुख्यधारा में जुड़कर शिक्षित करने लगे। इधर TLM पर मैंने क्रियात्मक शोध किया, जिसमें बच्चों व अध्यापकों के द्वारा बनाए गए   TLM व् बाजार में रेडीमेड TLM कक्षा- कक्ष में लकड़ी की TLM पट्टी 【जो दीवारों पर गाड़ी गई 】 पर टांग गए जिसमें बच्चों के सीखने में शीघ्रता व सरलता आ गई। कक्षा- कक्ष में TLM बनवाने की महंगी व् पुरानी पद्धति को समाप्त कर दिया। इसके साथ-साथ मैंने विद्यालय में  2 अतिरिक्त कक्ष व चहारदीवारी का निर्माण करवाया, सुंदर व आकर्षक गेट का भी निर्माण करवाया। प्रार्थना स्थल पर बच्चों द्वारा प्रार्थना के समय प्रार्थना कार्यक्रम में उच्चारण करनें अनेक अशुद्धियाँ करने के कारण , बच्चों के शुद्ध उच्चारण हेतु एक विशाल पेंटिंग का निर्माण करवाया तथा इसमें गायत्री मंत्र प्रार्थना, राष्ट्रगान आदि  लिखवाये गए ।विद्यालय में MDM भी सुचारू रूप से चलने लगा।विद्यालय में बच्चे भोजन करते समय भोजन लेकर इधर उधर खाते थे ,अतःइस व्यवस्था को समाप्त कर सभी बच्चों को एकसाथ पंगत में बैठाकर भोजन मन्त्र करवाकर इसके पश्चात भोजन करने की नई आदत विकसित की गई ।विद्यालय में अनेकानेंक पेंड़ पौधों को लगाया गया ।जिसके पश्चात विद्यालय की भौतिक व् प्राकृतिक सुन्दरता भी अपनें चरम पर हो गयी।विद्यालय में कक्षा 4,5 के लगभग 10-15 बच्चों को 40 के ऊपर 65 तक पहाड़ा याद था।जब डायट रायबरेली की टीम आई और बच्चों का टेस्ट लिया तो सब दंग थे की लोगों को बड़ी मुश्किल से 20 से 25 तक पहाड़ा याद होता है लेकिन यहां के बच्चे 40 से 65 तक पहाड़ा सुनाते हैं।यह खबर जब समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई तो मेरा विद्यालय 3-4 वर्षों में धीरे-धीरे रायबरेली जिले में
सितारे की भाँति चमकनें लगा।और रायबरेली के अनेंक शिक्षक और अधिकारीगण विद्यालय को देखने आनें लगे  और प्रभावित हुए ।मेरे विद्यालय की CD सभी ब्लॉकों में और  अन्य जनपदों में दिखाई जाने लगी।ग्राम प्रधान को छोड़कर ग्रामसभा के सभी लोगों का अपार सहयोग मिलनें लगा ।प्राइवेट विद्यालयों के भी बच्चे मेरे विद्यालय नामांकन करवानें आनें लगे। मेरे सारे मुकदमे व् शिकायत जाँच में झूठे साबित हुए जिसके  कारण मैं बरी हो गया।

दिनांक 17-07-2014 को मेरी पदोन्नति हो जानें के कारण पहले विद्यालय के 2 किमी बगल में मैंने प्रा.वि.-शहजादपुर वि.क्षे.-ऊंचाहार,जिला-रायबरेली में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य भार ग्रहण किया।यह विद्यालय भी इस समय का विवादित अव्यवस्थित व् जर्जर था।इस विद्यालय में भी प्रारम्भ में 67 बच्चे नामांकित थे जिनको मैंने मेहनत व् जन संपर्क कर 2 वर्षों में 112 तक पहुंचा दिया मैंने।इस विद्यालय में  2 वर्षों की अल्पावधि में लगभग 35 बच्चों नें प्राइवेट से आकर नामांकन करवाया।यह विद्यालय भी पढ़ाई व् अन्य विशेषताओं के कारण जिले में चमकने लगा। जिसके फलस्वरूप मुझे तत्कालीन जिलाधिकारी रायबरेली जिले के आदर्श शिक्षक के रूप में पुरस्कृत कर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस प्रकार मुझे लगभग 6 बार प्रशस्ति प्रदान किया गया।रायबरेली में भी डायट व् अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों में मुझे अपने शैक्षणिक उत्कृष्ट कार्यों के व्याख्यान हेतु आमन्त्रित किया जाता रहा। मई-2014 में मुझे CCE के माड्यूल संवर्धन कार्यशाला में मुझे SCRT लखनऊ में कार्य करनें का अवशर मुझे प्राप्त हुआ।♀®मैंने स्लो लर्नर व् व् अल्प मन्द बुद्धि व् (आउट आफ स्कूल )बच्चों पर सबसे बेहतर कार्य किया है♂। मैंने 3 बच्चों की केस स्टडी लिखी है, जिसमें "अनमोल सितारा "बहुत ही प्रेरणादायी है। मेरे उत्कृष्ट कार्य बेहतर स्कूल व्यवस्था के कारण दिनांक 31-03-2016 को तत्कालीन BSA महोदय नें मुझे माला पहनाकर सम्मानित किया। इसके पश्चात मेरा सितम्बर-2016 में अन्तर्जनपदीय स्थान्तरण हो जानें के कारण अपनें मूल जनपद फतेहपुर में आ गया तथा दिनांक 25-10-2016 को प्रा.वि.-बबई, वि.क्षे.-अमौली, जि.-फतेहपुर में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया।
धन्यवाद
देवकान्त तिवारी फतेहपुर

मित्रो आपने पढ़ा और जाना कि किस प्रकार देवकान्त जी ने अपने संघर्ष और साहस के साथ शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए काम किया। जो हम सबके लिए अनुकरणीय हो गया। मिशन शिक्षण संवाद की ओर से देवकान्त जी को सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_

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_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_

साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_
 
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
10/02/2017

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