एक कोशिश जो बन गयी यादगार, संजय शर्मा, UPS बैजुआ खास, अरांव, फिरोजाबाद

★एक कोशिश जो बन गयी यादगार★
मित्रो हमें बहुत से शिक्षक साथी लिखते है कि सर जी गाँव वाले हमारे बहुत खराब हैं सहयोग ही नहीं करते हैं। उन साथियों ने शायद सहयोग की न्यूनतम शर्त को भी पूरा करने का प्रयास नहीं है जो है प्रेम, प्रोत्साहन और ईमानदारी के साथ सार्थक संवाद। क्योंकि हमें अपने शिक्षक जीवन में सात गाँवों में काम करने का मौका मिला, कोई गाँव असहयोगी नहीं मिला। अब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से हजारों अनमोल रत्नों के यहाँ कोई असहयोगी गाँव नहीं है। इसके मतलब है कहीं न कहीं हम अपने शिक्षक होने की सकारात्मक शक्ति को भूल चुके हैं जिससे हमें गाँव और समाज का सहयोग नहीं मिल रहा है।
आइये देखते हैं बहुत समय से सुषुप्त विद्यालय को किस तरह हमारे अनमोल रत्न शिक्षक भाई संजय शर्मा जी ने गाँव को आकर्षित कर वाह! वाह! कहने को मजबूर कर दिया।


विद्यालय और अपने आपको गाँव एवं अभिवावकों को और अधिक जोड़ने के लिए मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि ऐसा क्या किया जाए कि गांव के लोग विद्यालय में निसंकोच दौड़े आएं। मैंने अपने स्टाफ से मशविरा किया और तय किया कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस को हम सब मिलकर एक नए अंदाज में मनाएंगे। फिर क्या गणतंत्र दिवस से 10 दिन पूर्व से तैयारियां शुरू कर दीं। हमने अपने सारे प्लान गुप्त रखे। जिला बेसिक शिक्षा  अधिकारी महोदय , उप बेसिक शिक्षा अधिकारी और अपने खण्ड शिक्षा अधिकारी जी को आमंत्रित किया। साथ ही अपनी पूरी विद्यालय प्रबन्ध समिति ,ग्राम शिक्षा समिति, माता संघ, अभिवावक संघ को बुलावा पत्र भेजा। सुंदर सा मंच तैयार कराया। हालाँकि अधिकारी गण समय से तो आये लेकिन चुनाव की व्यस्तता के कारण अधिक समय नहीं दे सके। जिसका उनको भी खेद रहा।
विद्यालय को देखकर आप सभी का हृदय गद- गद हो गया। आपने स्वागत समारोह के बाद विद्यालय की आपने अपने शब्दों में बहुत सराहना की।
अधिकारी गण जाने के बाद हमने बच्चों की प्रस्तुतियों के बीच-बीच में अपनी विद्यालय प्रबन्ध समिति और ग्राम शिक्षा समिति का प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।जिसे ग्राम वासियों ने खूब सराहा। लगे हाथों हमने मंच से सभी ग्राम वासियों से विद्यालय को भरपूर सहयोग करने का वचन भी लिया।
विद्यालय के छात्रों की प्रस्तुतियों को देखकर प्रत्येक व्यक्ति के मुंह पर एक ही बात थी कि मास्साब आज हमें लगा आपने बहुत मेहनत की है और हमारा विद्यालय जिले के प्रथम स्थान पर  है। ग्राम वासियों द्वारा यही बात बार- बार दुहराई जा रही थी कि मास्साब ऐसा कार्यक्रम यहाँ कभी नहीं हुआ। आप ऐसे कार्यक्रम हमेशा कराइये हम पूर्ण सहयोग करेंगे।
मैंने मंच से गांव के लोगों से बहुत चर्चा की जिसका मुझे सकारात्मक जबाब मिला।
गणतंत्र दिवस बीतने के बाद से  लोगों की मेरे और मेरे स्टाफ के प्रति पहले से कई गुना अधिक सकारात्मक सोच देखने को मिल रही है।
मुझे लगता है कि मेरी और मेरे स्टाफ की मेहनत और सोच शायद सफल हुई।
संजय शर्मा
फ़िरोज़ाबाद
कोशिश कर हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से अनमोल रत्न शिक्षक भाई संजय शर्मा जी और सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आपके पास भी कोई सकारात्मक सोच की विजय कहानी हो तो मिशन शिक्षण संवाद के WhatsApp no- 9458278429 अथवा मेल shikshansamvad@gmail.c om पर भेज दें।
साभारः विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०

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