६९- अखिलेश कुमार सिंह अभिनव प्रा० वि० कल्यानपुर, महाराजगंज, जौनपुर

मित्रो आज हम आपको मिशन शिक्षण संवाद के अनमोल रत्नों के परिचय के क्रम में जनपद- जौनपुर के आदर्श शिक्षक भाई अखिलेश कुमार सिंह जी से करा रहे हैं। जिन्होंने हमें सिखाया कि किस प्रकार एक विद्यालय को शून्य से शिखर तक पहुँचाया जा सकता है। किस प्रकार सतत प्रयास से एक परिषदीय और सरकारी कहे जाने वाले विद्यालय को अभिभावकों लिए आकर्षण का केन्द्र बना कर प्राइवेट विद्यालयों के सामने चुनौती की दीवार बन कर खड़ा हुआ जा सकता है।  हम लोगों के अनेकों मिथकों और नकारात्मक सोच को तोड़ते हुए आपने हमें नये रास्ते दिखाए।
तो आइये जानते हैं आपके विद्यालय के विकास की कहानी, आपकी जुबानी-----

मित्रो,
मैं जब वर्ष 2012-13 में पदोन्नति करके प्रा वि कल्यानपुर में आया  तो वहाँ की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। समय से न तो शिक्षक आते थे न ही बच्चे। सबसे बड़ी बात हमेशा रसोईया ही प्रार्थना कराते थे। सारे बच्चे एक साथ बिना किसी नियम के और बिना किसी नियमित तरीके से सिर्फ प्रार्थना कर लेते थे। अध्यापकों का आना तो देर था ही उसमें भी आने के बाद गोलमेज सम्मेलन की दैनिक गतिविधि की आदत बन चुकी थी। बच्चे भी इधर आया कोई उधर गया, कोई लैट्रिंग के बहाने घर भाग गया, कोई लन्च के लिए चला गया। किसी को कोई खबर नहीं। विद्यालय में कोई चटाई या टाट पट्टी नहीं थी बच्चे घर से बोरी लाकर बैठके थे। वाउण्ड्री नहीं थी। एक शिक्षा मित्र बहन जी थी उनका भी शिक्षण सहयोह निम्न ही था। ऐसे हालातों को सुधारने के लिए सबसे पहले हमने शिक्षकों को समय से आने के लिए प्रेरित किया हमने प्रतिदिन समय से आधे घण्टा पहले पहुँच कर विधिवत प्रार्थना सभा शुरू की। जिसमें बालक और बालिकाओं को कक्षा के अनुसार लाइन में बैठना और खड़ा होना सिखाया। इसके बाद सामान्य ज्ञान,राष्ट्रगान, पी टी आदि गतिविधियों द्वारा बच्चों कुछ नवीनता का अनुभव कराया। इसके बाद अनुपस्थित बच्चों के ठहराव के लिए माह में दो बार अभिभावकों की बैठक बुलाई जिसमें महिला अभिभावकों की संख्या अधिक रहने के कारण बच्चों की नियमित उपस्थिति में वृद्धि हुई। इस के साथ ही जो बच्चा स्कूल नहीं आया उसके न आने का कारण जरूर पता करता। बच्चों की साफ सफाई, कॉपी कलम, शौच और स्नान आदि पर बच्चों की माताओं से चर्चा कर लेता हूँ तथा उनके अन्दर की जिज्ञासा को जानने के लिए उनसे पूछ लेता हूँ कि जो बच्चे प्राइवेट में पढ़ने जाते और आपके बच्चों में आप क्या अन्तर महसूस करती हैं। यही फीडबैक और जनसम्पर्क  हमारे सुधारों का आधार होता है। हम आंगनवाड़ी से ही बच्चों को अपने विद्यालय की ओर आकर्षित करने लगता हूँ।  आंगनवाड़ी के बच्चों को रोने पर अपनी अलमारी में रखी टॉफी देकर और गोद में उठाकर चुप कराना आदि अनेकों छोटी- छोटी गतिविधियों द्वारा बच्चों और अभिभावकों में विस्वास पैदा करना। क्योंकि छोटा बच्चा विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि को अपनी माँ-पिता और परिवार के साथ शेयर करता है।
इसके बाद विद्यालय परिवेश पर ध्यान दिया गया, जिसमें खण्ड शिक्षा अधिकारी के सहयोग से वाउण्ड्री और अतिरिक्त कक्षा कक्ष का निर्माण हुआ, प्रत्येक कक्षा के लिए मेज, विद्यालय में टूटी अलमारी हटा कर नयी अलमारी और चटाईयों की व्यवस्था हुई।  पुराना स्टाफ भी धीरे -धीरे विद्यालय छोड़ते गये और नये शिक्षक आते गये जो हमारे अनुसार शिक्षण में सक्रिय सहभागिता निभाते गये जिससे शिक्षण गुणवत्ता बढ़ती गयी और अभिभावकों में विद्यालय के प्रति विस्वास बढ़ता गया। इसके बाद होशियार बच्चों को पुरस्कृत करना शुरू किया जिससे बच्चों में प्रतियोगी माहौल बनाने में सहायता मिली। वार्षिक परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक पाने वाले कक्षा 3, 4, 5 के उत्कृष्ट बच्चों को गोल्ड मेडल लाकर जनप्रतिनिधियों द्वारा सम्मानित करवाना शुरू किया। प्राइवेट विद्यालयों से तुलनात्मक दिखाई देने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की अनुमति से स्वेटर और टाई- बैल्ट के साथ आई कार्ड की भी व्यवस्था की गयी। इस सत्र से सभी बच्चों को एक प्लेट और एक गिलास भोजन के लिए दिया गया। आगे सभी बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर की योजना है। इस प्रकार सतत प्रयास से अभिनव प्रा० विद्यालय कल्यानपुर, महराजगंज, जनपद- जौनपुर बनकर तैयार हुआ। जिसकी फोटो आप सबके सामने हैं। इन सब कार्यों के लिए जनपद स्तर से सम्मानित भी किया गया।
आप सबका साथी शिक्षक
अखिलेश कुमार सिंह
अभिनव प्रा० वि० कल्यानपुर, महराजगंज
जनपद- जौनपुर
मित्रो आपने देखा कि यदि शिक्षक का शिक्षण के प्रति समर्पित भाव और सकारात्मक सोच है तो वह बेसिक शिक्षा की तमाम अव्यवहारिक नीतियों के बीच अपना और अपने विद्यालय का सम्मान बचाने में सफल है। अतः मिशन शिक्षण संवाद की ओर से ऐसे सम्मानित और बेसिक शिक्षा के लिए समर्पित शिक्षकों को बहुत - बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
11/09/2016

Comments

Total Pageviews