८३- उमाशंकर द्विवेदी प्रा० वि० देवापट्टी, बदलापुर,जौनपुर

मित्रो आज हम आपको मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से आपका परिचय शिक्षा के सजग प्रहरी और बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक भाई उमाशंकर द्विवेदी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी शिष्टता और व्यवहार कुशलता से समाज और समाज के मुखिया को विद्यालय के प्रति आकर्षित कर विद्यालय का सहयोगी बना दिया। आपकी कार्य कुशलता और कुशल प्रबंधन ने हम जैसे अनेकों शिक्षकों के लिए प्रेरणा का काम किया, जो कहते हैं कि समाज और उसके मुखिया हमारा सहयोग नहीं करते हैं।
क्या हमने आपने कभी सोचा कि इस व्यवहार जगत में कोई हमें सहयोग क्यों देगा???
इसका उत्तर शायद बहुत ही सरल और व्यवहारिक होता है कि जब हम किसी को कुछ देंगे। अर्थात जब हम विद्यालय और उसके बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हम तत्पर होंगे। तो समाज और अभिभावक हमें निश्चित ही सहयोग देंगे। जिसकी पहल और शुरूआत अपने से करनी होती है।
तो आइये हम जानते है कि आपने अपने विद्यालय को कैसे सम्मानित और विस्वास का प्रतीक विद्यालय बनाया।


महोदय, मैं उमा शंकर द्विवेदी प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय  देवापट्टी, बदलापुर, जौनपुर शिक्षण संवाद के माध्यम से विद्यालय के भौतिक परिवेश एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए किये गए  प्रयास के अनुभव को साझा करना चाहूंगा। 
आज से 5 साल पहले  29 जनवरी 2011 को विद्यालय में  प्र.अ. के पद पर तैनाती हुई तत्कालीन  प्रधान व सम्भ्रान्त जन लाल साहब यादव के  सहयोग से तथा  सामुदायिक  सहयोग के  बल पर कुछ छाया चित्र प्रदर्शित है।
उपलब्ध चित्रों का सारा श्रेय  स. अ. श्रीमती कामिनी सिंह, प्रवीण त्रिपाठी, समर बहादुर। यादव, डाँ. जुबेर अहमद, उपेन्द्र नाथ उपाध्याय एवं  अध्यक्ष गुरु प्रसाद त्रिपाठी वि.प्र.स. तथा समस्त सदस्यों  को जाता है।
स्कूल के बच्चों को इस रूप में पहुँचाने में मेरे शिक्षकों एवं  जन-समुदाय  का विशेष योगदान रहा जिसका मैं  विशेष आभारी हूँ। बैठक व्यवस्था पर जो  भी व्यय हुआ उसकी व्यवस्था तत्कालीन प्रधान श्रीमती उत्तमा देवी एवं श्री लाल साहब यादव तथा कुछ सरकारी सहायता से हुआ।अभिभावकों ने सहयोग किया बच्चों की संख्या में सुधार हुआ बच्चे जूते पहनकर आने लगे तो  आस-पास सन्देश गया। पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है तो बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता पूर्ण है।
पहले बच्चे स्कूल आने में  आनाकानी करते थे और विद्यालय परिसर में  रुकते ही नहीं थे। परिसर में एक बड़ा  गड्डा था। जिसको लाल साहब यादव ने पटवाया परिसर को सुरुचिपूर्ण बनाया।
मित्रो आपने जाना कि कैसे अपने विद्यालय को विश्वास के रूप में जनसहयोग से विकसित किया। अतः मिशन शिक्षण संवाद की ओर से भाई उमाशंकर द्विवेदी और उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत - बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
15/11/2016

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