११९- अरविन्द कुमार पू०मा०वि० रतनपुरा, लार, देवरिया

🔰 *मिशन शिक्षण संवाद*

_दिनांक_
0⃣6⃣➖0⃣2⃣➖2⃣0⃣1⃣7⃣

⭐ *जीवन के रंग बच्चों के संग* ⭐

🙋🏻‍♂ _*मित्रों,*_ आज हम आपका परिचय 🔰 *मिशन शिक्षण संवाद* के माध्यम से _*जनपद-देवरिया*_ से बेसिक शिक्षा के _अनमोल रत्न_ 🔷 शिक्षक भाई *अरविन्द कुमार* जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति से भवन विहीन विद्यालय में भी हार न मानते हुए प्रा वि के अतिरिक्त कक्षा कक्ष से *“जब जागो, तभी सबेरा„* जैसे आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर प्रतियोगी और प्रतिष्ठित विद्यालय बनाने में सफलता प्राप्त की है जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।

🤗 _आइये जानते है विद्यालय के परिवर्तन की कहानी अरविन्द जी के शब्दों में:--_

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1846926622251593&id=1598220847122173

💁🏻‍♂ *पूर्व माध्यमिक विद्यालय रतनपुरा विकास क्षेत्र-लार, जनपद देवरिया*

🙏🏼 मैं *अरविन्द कुमार* स०अ० _(मूल जनपद- बलिया)_ जब मेरा अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण जनपद बाराबंकी से *पू०मा०वि० रतनपुरा वि०क्षेत्र-लार जनपद देवरिया* के लिए प्रधानाध्यापक पद पर हुआ तब मैं पहली बार पूरे जोश और उत्साह के साथ मन में नवीन विचारधारा लिए विद्यालय पर पहुँचा तो मेरी सारी खुशी और उत्साह दो पल में धाराशाई हो चुकी थी। विद्यालय अति पिछड़े क्षेत्र नदी के किनारे स्थित होने के कारण जर्जर और बंद अवस्था में केवल ढांचा खड़ा था। 😂मैंने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि मुझे प्रधानाध्यापक के रुप में ऐसा विद्यालय संचालन हेतु नसीब होगा। चूंकि प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय एक ही कैम्पस में स्थित होने कारण थोड़ी सी उम्मीद की किरण जगी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक से सम्पर्क करने के पश्चात् ज्ञात हुआ कि यह विद्यालय प्राथमिक विद्यालय के “अतिरिक्त कक्ष„ में एक शिक्षक के सहारे संचालित होता था जिनके स्थानान्तरण के पश्चात् विद्यालय बन्द अवस्था में है। इस दौरान जो भी बच्चे नामांकित थे वे अन्यत्र नामांकन करा चुके हैं। अपने पूर्व के अनुभव को याद करके कई रातों तक चैन से सो न सका और वर्तमान परिस्थितियों को कोसता रहा। कुछ दिनों बाद मैंने अपने शिक्षक साथियों से सलाह भी ली, उन्होंने कहा कि उचित समय आने पर किसी अन्य विद्यालय पर स्थानान्तरण करा लीजिएगा।

1⃣ लगभग एक वर्ष तक विद्यालय पर  मन नहीं लगा ग्रामीण परिवेश, विद्यालय का वातावरण तथा ग्रामवासियों के मनोदशा को समझने में ही एक वर्ष बीत चुके थे। कहते हैं “जब जागो तब सवेरा„ प्रारम्भ से ही मन में बच्चों के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी। मेरे समक्ष सबसे कठिन चुनौती थी विद्यालय का विकास चूंकि विद्यालय किसी भी दशा में मरम्मत हेतु सम्भव न होने के कारण कोई अन्य विकल्प भी नहीं सूझ रहा था। जहाँ वर्तमान में अप्रत्यक्ष रूप से प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में वैचारिक मतभेद की एक दो शिकायतें मिलती रहती हैं वहीं प्राथमिक विद्यालय  के *प्रधानाध्यापक श्री आशुतोष कुमार सिंह* जी से मेरा तालमेल सही रहा। व्यवहार और विचारधारा में समानता के फलस्वरूप वे सदैव सहयोग के लिए तैयार रहते हैं। मैं मन ही मन संकल्प कर चुका था कि मूल भवन ना सही प्राथमिक विद्यालय के अतिरिक्त कक्ष को ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय का रूप देकर विद्यालय संचालित की जा सकती है। विद्यालय एवं बच्चों के आधार हेतु किये गए प्रयास निम्नलिखित है-

👉1- सर्वप्रथम नामांकन बढाने हेतु गांव के अभिभावकों से नियमित सम्पर्क किया तथा एस०एम०सी० की नियमित बैठकें की परिणामस्वरूप 15 नामांकन हुए। वर्तमान में 62 नामांकन हो चुके हैं।

👉2- अतिरिक्त कक्ष के फर्श, छत और दीवारों का मरम्मत कराया।

👉3- सुविधाओं के नाम पर एक कुर्सी और कुछ चटाईयां थीं।कुर्सी, मेज, अलमारी आदि की व्यवस्था की।

👉4- बच्चे अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण जिन्हें तहसील और मुख्यालय जाना नसीब नहीं हुआ इन्हें व्यवहारिक ज्ञान का बोध कराना भी कठिन कार्य था इन बच्चों को टोलियों में बांटकर तहसील में स्थित विभिन्न प्रतिष्ठानों, कार्यालयों एवं बाजारों से अवगत कराया।

👉5- बच्चों को टाई, बेल्ट, आई कार्ड और कापी पेन देकर उन्हें पुरस्कृत किया।

👉6- वर्ष 2015 में श्री निरंकार जी (विज्ञान शिक्षक) स०अ० की नियुक्ति मेरे विद्यालय पर हुई जिन्होंने बच्चों को विज्ञान माडल बनाने में सहयोग कर विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम बार प्रतिभाग कराया।

👉7- बचपन में जो हम सीखते थे अब बारी थी बच्चों को सिखाने की। बर्थ डे गिफ्ट बनाना, पेंटिंग बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाकर उन्हें रंगों से सजाना, रंगोली प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया।

👉8- सुसज्जित अभिलेख और आकर्षक रंग रोगन द्वारा विद्यालय को सुसज्जित किया गया।

👉9- योग, व्यायाम, खेलकूद तथा विभिन्न खेलों के मैदान का मापन का कार्य बच्चों से अभ्यास कराया। जो अब स्वयं कर लेते हैं।

👉10- पी०टी० एवं परेड की गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया।

👉11- गणतंत्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस एवं महापुरुषों के जयंती पर शिक्षक और बच्चे नृत्य, नाटक देशभक्ति गीत एवं खेलकूद प्रतियोगिता में हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं।

👉12- संचार युग में बच्चों को संचार से जुड़ने की प्रबल इच्छा थी इसलिए मैंने लैपटाप के माध्यम से इंटरनेट की जानकारी साझा की।

        😊उपरोक्त मेरे द्वारा किये गए प्रयास का प्रभाव अभिभावकों एवं प्राथमिक विद्यालय के बच्चों पर पड़ रहा है वे मेरे विद्यालय में नामांकन हेतु उत्सुक हैं। मेरा यह प्रयास सर्वांगीण विकास की दृष्टिकोण से अभी नगण्य है परन्तु बच्चों और विद्यालय का आधारभूत ढाँचा मजबूत करने का प्रयत्न कर रहा हूँ जिससे बच्चों का मनोबल प्रबल हो सके। वर्तमान में विद्यालय की बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं है लेकिन भविष्य में बच्चों द्वारा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
इन्हीं शब्दों के साथ किशोर दा का एक गीत----

_रुक जाना नहीं कहीं तू हार के कांटों पे ........... ।_

*अरविन्द कुमार* _(इं०प्र०)_
_पू० मा० वि० रतनपुरा वि०क्षे०- लार,_
_जनपद-देवरिया (उ०प्र०)_

                                                 
👏🏼 _मित्रो आपने देखा कि जहाँ चाह है कुछ करने की तो राह अपने आप बनती है। यही शायद प्रकृति का नियम भी है।  🔰 *मिशन शिक्षण संवाद* की ओर से *अरविन्द कुमार*जी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!_

👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_

👉🏼 *नोटः-* यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो *बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें।*

☀ आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  *Whatsapp No.*- *9458278429* है।_

*साभार:* _🗣शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_
 
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_

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