१४६- बिन्दू राय प्रा० वि० सुरतापुर, मोहम्मदाबाद, गाजीपुर

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- गाज़ीपुर से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न वन्दनीय शिक्षिका बहन बिन्दू राय जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक और सहयोगात्मक सोच से अपनी उच्च शिक्षा को प्रमाणिक कर दिया, क्योंकि जो शिक्षा मानवता से अधिक चन्द कागज या धातु के रुपयों की ओर आकर्षित करती हो, वह कभी भी शिक्षा नहीं हो सकती है, वह उन रुपयों की शक्ति द्वारा खरीदी गयी कागज की डिग्री मात्र हो सकती है। आपने BHU से एम० ए०, एम० एड० करने के साथ नेट उत्तीर्ण करने के बाद भी केवल रुपयों की ओर आकर्षित न होकर श्रृष्टि की सबसे सुन्दर कृति बाल मन की मानवीय सेवा का चयन किया है। आज बहन जी उन तमाम डिग्री धारियों के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं, जो विद्यालय में आकर सदैव डिग्रियों के बोझ से दबे हुए, सिर्फ रुपये नाम के कागज की तलाश में, जीवन का वास्तविक आनन्द बाल मन की मानवीय सेवा से वंचित रह जाते हैं।
तो आइये जानते हैं अपनी अनमोल रत्न बहन के सराहनीय, अनुकरणीय और प्रेरक प्रयासों को:--


मैं सहायक अध्यापिका बिंदू राय प्राथमिक विद्यालय सुरतापुर मोहम्मदाबाद ग़ाज़ीपुर से
"कठिनाइयों के डर से असफलता का भय मन मे यू न लाईये,
काम क्यों न होगा पूर्ण? पहले पाँव तो बढाइये”
मेरी प्रथम नियुक्ति सुरतापुर में ही सहायक अध्यापिका के पद पर 07/11/2015  को हुई। नियुक्ति के बाद ऐसा लग रहा था कि इस विद्यालय में बहुत सी बुनियादी चीजें है जो विद्यालय के अनुकूल नहीं है और न ही विद्यालय की प्रतिष्ठा और संसाधन बच्चों के अनुकूल है। जैसे विद्यालय में घंटी का न बजना, बच्चों के पास विषयवार कॉपियों का न होना, बच्चों में साफ- सफाई के प्रति जागरूकता का अभाव, विद्यालय में शौचालय का न होना, कोई राष्ट्रीय पर्व ढंग से न मनाया जाना, विद्यालय में पर्याप्त कुर्सियों का न होना, बेहतर रंगाई-पुताई न होना, विद्यालय में हॉउस का गठन न  होना, खेल-कूद न होना, रटंत पढ़ाई को प्रोत्साहन, कला, गायन और किसी तरह की अतिरिक्त गतिविधियों का न होना। जो बच्चों के विकास के लिए परम आवश्यक है।
नियुक्ति के बाद विद्यालय में आयोजित की जाने वाली बच्चों हेतु अतिरिक्त गतिविधियाँ:--
★खेल कूद
★नृत्य
★क्रॉफ्टिंग
★चित्रकला
★क्ले मॉडल
★रोलप्ले
★रंगोली निर्माण
★विज्ञान मॉडल निर्माण
★खेल पद्धति, कांसेप्ट मैपिंग, कहानी विधि, चित्रकथा, वाक्यांश पूर्ति, निबंध विधि इत्यादि के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना
★साप्ताहिक परीक्षा
★बच्चों की कॉपियों को चित्रात्मक बनवाना
★अभिभावक संपर्क
★बच्चों को हाउस में बांटकर हाउस कॉपिया बनवाना।
★महीने के अंत मे आसपास के किसी स्थान पर पिकनिक ले जाना।
★मीनिंग कॉम्पटीशन करवाना।
★बागवानी हेतु प्रेरित करने के लिए प्रत्येक हाउस के बच्चे एक-एक दिन लास्ट पीरियड में अपना समय बागवानी के लिए देते है।
★प्रार्थना के बाद समूह में बच्चों को प्रेरक कहानियाँ सुनाई जाती है।
★समय समय पर विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाने लगा।
★कक्षाओं को विविध कलाकृतियों से सुसज्जित करना इत्यादि।
उपलब्धियाँ:-
उपरोक्त गतिविधियों को सफलतापूर्वक संचालन करने में शानदार सहयोग मिला हमारे प्रभारी प्रधानाध्यापक और बड़े भाई तुल्य श्री बरकतउल्ला जी का। अभी भी हम वांछित उपलब्धियों के मुकाम पर तो नही पहुंचे है परंतु कुछ उपलब्धियां निम्न है-
★सभी कक्षाएं वादन के अनुसार संचालित होती है।
★बच्चे सभी विषयों की चित्रात्मक कॉपिया बना लिए है।
★बालदिवस के अवसर पर कक्षा 5 और 4 के बच्चों को मेरे खर्च से सामान्य ज्ञान की पुस्तिकाएं वितरित की गई।जिसका परिणाम ये हुआ की सभी बच्चों में आपसी प्रतिस्पर्धा की होड़ सी मच गई। प्रतिदिन सुबह सामूहिक रूप से प्रार्थना सभा के बाद सामान्य ज्ञान के प्रश्न 'अंग्रेजी में दिनों के नाम 'महीनों के नाम  इत्यादि पूछा जाने लगा और बच्चों की बुनियाद मजबूत होती गई।
★प्रत्येक शनिवार को बच्चे कुछ कलात्मक चीजे बनाते है, कुछ अपने मन से और कुछ टीचर के मार्गदर्शन में।
★सप्ताहांत परीक्षा में सर्वाधिक अंक पाने हेतु बच्चों में आपसी प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गई, कि हम यदि सर्वाधिक अंक पाएंगे तो हमे मैम कुछ पुरस्कार देंगी।
★प्रार्थना सभा के बाद प्रतिदिन स्वच्छ सूंदर बच्चों का चुनाव होने लगा  और इस आधार पर स्टूडेंट्स ऑफ डे का चुनाव होने लगा परिणाम स्वरूप बच्चे स्वच्छता के प्रति आकर्षित हुए और साफ सुथरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।
★प्रधानाध्यापक लगातार उत्साहवर्धन और सहयोग करते रहे विद्यालय की कार्यप्रणाली और प्रगति से प्रसन्न होकर गांव के शुक्ला जी ने 5 कुर्सियां भेंट स्वरूप प्रदान किया।
★विद्यालय के ऐसे अध्यापक जो प्रधानाध्यापक और मेरी निष्ठा का मजाक उड़ाते थे आज वह भी प्रेरित होकर कुछ काम करना शुरू किए है।
★मीटिंग में खण्ड शिक्षाधिकारी श्री राजेश यादव जी ने सभी विद्यालय के शिक्षकों से कहा कि आपको अनुकरण करना है तो प्राथमिक विद्यालय सुरतापुर का कीजिए, आज हमारे ब्लॉक में क्राफ्टिंग और पठन-पाठन की लहर सी पैदा हो गई है, ऐसी प्रतिस्पर्धा है कि हम और हमारा विद्यालय कितना आगे निकल जाए।
★विद्यालय की कार्यप्रणाली के आधार पर हमारे विद्यालय का दो बार चयन D.M. ग़ाज़ीपुर द्वारा "स्कूल ऑफ द मंथ" में किया गया और सम्मानित भी किया गया।
★विद्यालय को और आगे ले जाने हेतु विद्यालय के बच्चों को पिछले सत्र में टाई और बेल्ट, आईकार्ड भी बांटा गया था। नए सत्र में भी बांटना है।
★विद्यालय के बच्चों को 5 हाउस में बांटा गया और सभी हाउस के बच्चों हेतु एक-एक हॉउस टीचर नियुक्त किया गया, अध्यापक की जिम्मेदारी है कि वो अंतिम दो पीरियड में बच्चों को आधारभूत चीजें याद करवाये औऱ गतिविधि आधारित शिक्षण करवाये।
★बच्चों को अंतिम पीरियड में विभिन्न मनोरंजक गतिविधियां भी कराई जाती है ताकि अगले दिन विद्यालय आने के लिए बच्चा लालायित रहे।
◆सबसे बड़ी उपलब्धि रही विद्यालय की की ग्रामप्रधान से मिलकर विद्यालय में बेहतरीन शौचालय का निर्माण हो गया जिससे बच्चे और बच्चियाँ अब बाहर शौच हेतु नहीं जाते हैं।
★अब विद्यालय में बच्चों में नियमितता बढ़ी है।
★जो बच्चा होमवर्क सही- सही कर लेता है 'पाठ याद कर लेता है, सुंदर लिखता है, सुंदर कला बनाता है उसके लिए एप्रीसिएशन चेयर पर बैठने का प्रावधान सुनिश्चित है परिणामस्वरूप सभी बच्चों में होड़ सी मच गई कि हम काम पूरा करे और चेयर पर बैठें।
★निहायत गरीब बच्चों को नोटबुक भी मैं अपने पैसे से उपलब्ध कराती हूँ।
     
विद्यालय को बहुत आगे ले जाना है, अभी तो एक साल बुनियादी तौर पर बच्चों औऱ विद्यालय को विकसित करने में ही निकल गया, आगे क्राफ्टिंग के अलावा डांसिंग, पढ़ाई , खेल सभी तरह की गतिविधियों में आगे ले जाना है।
   सभी शिक्षकों से सादर अनुरोध है कि आप अपनी मर्यादा को प्रदूषित न करे चंद गिरे लोगों की नकल करके।अपनी कठिनाइयों को दरकिनार करें दो शब्द उन सफेदपोश और देशद्रोही लोगो के लिए-
ऐ विशिष्ट व्यक्ति!!!!
"खर्च कर देते हो रिश्वत के करोड़ों रुपये अपने दो बच्चों को पढ़ाने में,
हम तो जिंदगी ही खर्च कर दिए वंचित  बच्चों की आँखों में उम्मीद की रोशनी जलाने में।
फिर भी संशय है कि वह अपने तुम्हारे होंगे या नहीं,
तब हम आनंद लेंगे अपने जलाये हुए दियों की रोशनी में नहाने में”
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  कुछ भूख ऐसी होती है,
जिनकी तृप्ति भोजन से नहीं होती है।
फिर पैसों की क्या औकात,???
जीते हैं हम उनके लिए,
जो जीना भूल गए है।
रख लो अपना बंगला और हवेली,
मेरा जुनून ही काफी है
उन नन्हें कलियों के लिए।
खिला देंगे हम उन्हें आकाश में,
करा देंगे हौसलों और उम्मीदों की बरसात।।।।
(बिन्दू राय सहायक अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय सुरतापुर मोहम्मदाबाद ग़ाज़ीपुर)
मित्रों आपने देखा बहन जी के मानवीय पहलू को, जो हम सबको प्रेरित करता है बेसिक शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए कुछ कर गुजरने के लिए।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन जी एवं सहयोगी विद्यालय को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें।
☀ आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_
 
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
14/06/2017
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