७८- मीना कुमारी पू०मा०वि० खेरागढ़- प्रथम, खेरागढ़, आगरा

मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-आगरा से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न वन्दनीय बहन मीना कुमारी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति से बेसिक शिक्षा को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले अड्डा और ढर्रा जैसे शब्दों को अपने विद्यालय से बाहर कर हम सबके लिए नया आदर्श स्थापित किया। क्योंकि आज जहाँ पर्याप्त शिक्षक संख्या बाले विद्यालय भी ढर्रा और अड्डा के कारण अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। वहीं एक अकेली बहन ने अपने विद्यालय से न सिर्फ असामाजिक तत्वों का अड्डा साफ किया। बल्कि केवल विभाग को दोष देकर बहानों और अव्यवस्था का महौल के ढर्रे को भी समाप्त किया। जो हम सबके लिए अनुकरणीय और प्रेरक आदर्श स्थापित कर मार्गदर्शन किया। मिशन शिक्षण संवाद ऐसी अनमोल रत्न बहनों को नमन करता है।
आइये जानते है बहन जी के विचार परिवर्तन की कहानी:--

मैं *मीना कुमारी*, इ०प्र०अ०, पू०मा०वि० खेरागढ़ (प्रथम), ब्लाॅक- खेरागढ़, जनपद आगरा में कार्यरत हूँ। इस विद्यालय में मेरी नियुक्ति दिनांक 18 अक्टूबर 2011 को हुई थी। जब मैंने इस विद्यालय में चार्ज ग्रहण किया तो यहाँ एक अन्य अध्यापिका भी कार्यरत थीं। किन्तु मेरे चार्ज ग्रहण करने के कुछ दिन बाद ही वह चिकित्सा अवकाश पर चली गईं।
जब मैंने इस विद्यालय में चार्ज ग्रहण किया था, तब इस विद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं थी, बच्चे बहुत कम आते थे। जो आते भी थे, वह भी बिना किताब-कॉपी-पेन के आते थे। विद्यालय की खिड़कियाँ टूटी-फूटी थीं। शौचालय के नाम पर गंदगी और खण्डहर था। विद्यालय दिन के समय में भी असामाजिक तत्वों का अड्डा था। मैं विद्यालय में अकेली अध्यापिका थी। विद्यालय में फैली अव्यवस्थाओं और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ विद्यालय की समस्त जिम्मेदारी अब मेरे ही ऊपर आ गई। इसके लिए सबसे पहले परिवेश की साफ सफाई कराई। खिड़की और शौचालय ठीक करवाया। इसके बाद घर-घर जा कर अभिभावकों से मिलकर उनको समझाया और बच्चों को नियमित भेजने के लिए प्रेरित किया। बच्चों ने आना शुरू किया और धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई।
अब बच्चों के आने के बाद उनको पढ़ाने के साथ-साथ विद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी भी मेरी ही थी, इस कारण कभी-कभी प्रबन्धन की समस्या भी आने लगी, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में भी व्यवधान आने लगा। इसी बीच विद्यालय में गणित विषय के अध्यापक के रूप में श्री राजकुमार शर्मा की हुई। उनके आने पर उम्मीद जागी कि शायद अब विद्यालय की समस्याओं का निदान हो जाएगा, किन्तु उन्होंने आने के कुछ समय पश्चात् ही अपने को अस्थाई रूप से उपजिलाधिकारी कार्यालय, तहसील खेरागढ़ में सम्बद्ध करा लिया और फिर से मैं विद्यालय में अकेली अध्यापिका रह गई।
एक दिन कक्षा में बच्चों को भारतीय राज व्यवस्था और संसद के बारे पढ़ाते-पढ़ाते मेरे दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न अपने विद्यालय की समस्याओं का समाधान बच्चों की सहायता से किया जाए। इसलिए मैंने अपने विद्यालय में *बाल संसद* का गठन किया। अब चूँकि यह आइडिया मुझे नागरिक शास्त्र विषय पढ़ाते समता आया था इसलिए मैंने इसका नाम रखा *मैजीविक्स* (Magic of Civics)
विद्यालय प्रबन्धन एवं पठन-पाठन क्रिया को रुचिकर, सुगमता पूर्ण एवं सफल बनाने हेतु मैंने इस नवाचार का निर्माण किया। इस नवाचार के क्रियान्वयन के लिए मैंने सबसे पहले विद्यालय में न्यूनतम संसाधनों को प्रतिपादित कर वर्तमान मानव संसाधनों एवं विद्यालयी पर्यावरण का प्रयोग कर बाल संसद का गठन किया। बाल संसद में विभिन्न विभाग और उनके मंत्री व उपमंत्री विद्यालय के दैनिक क्रियाकलापों एवं कक्षा-शिक्षण में विशेष सहयोग देते हैं और कभी-कभी मेरी अनुपस्थिति में भी विद्यालय की व्यवस्था को सुचारु रूप से गतिमान रखते हैं। इस नवाचार का विद्यालय में क्रियान्वयन सत्र के आरम्भ से सत्र के अन्त तक सुगमता पूर्वक किया जा सकता है।
साप्ताहिक मासिक बैठकों का अंकन बाल संसद के रजिस्टर में किया जाता है और पूर्व में निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दिशा-निर्देश तैयार करना और उनका पालन करना सुनिश्चित कर उसे अंकित करने का कार्य भी बच्चों के द्वारा ही किया जाता है। समय-समय पर बाल संसद के पदाधिकारियों, शिक्षकों व अभिभावकों द्वारा मूल्यांकन किया जाता है और आने वाली त्रुटियों को उसी समय दूर कर बाल संसद द्वारा किए गये अच्छे कार्यों के लिए उनको प्रोत्साहन दिया जाता है।
बाल संसद द्वारा विभिन्न कार्य जैसे- वृक्षारोपण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरूकता रैली, नारी चौपाल, स्लोगन लिखो प्रतियोगिता के साथ बालिका शिक्षा, स्वच्छ भारत अभियान जैसे सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। इसके साथ-साथ विद्यालय में 100 प्रतिशत बच्चों के नामांकन हेतु स्कूल चलो अभियान, विद्यालय में बेहतर प्रशासन हेतु विद्यालय प्रबन्ध समिति के साथ समन्वय स्थापित कराने में विशेष रूप से सहयोग किया जा रहा है।
आपको यह बताते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि मेरा यह नवाचार श्री अरविन्द सोसाइटी द्वारा किए जा रहे ZIIEI शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार कार्यक्रम के अन्तर्गत सम्पूर्ण *उ०प्र० में सर्वश्रेष्ठ 11 नवाचारों* में चुना गया। जिसके लिए *मुझे लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में उ०प्र० के मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा सम्मानित* भी किया गया।
इन सभी 11 नवाचारों को लेकर एक वार्षिक नवाचार पुस्तिका का प्रकाशन भी किया गया और पुस्तिका का विमोचन *लखनऊ* में आयोजित कार्यक्रम में उ०प्र० के *मा० मुख्यमंत्री जी* द्वारा दिनांक 20-11-2016 को किया गया।
यह नवाचार विशेषकर उन विद्यालयों के लिए लाभप्रद है जहाँ प्रति कक्षा शिक्षकों की कमी है। ऐसे विद्यालयों में बहुकक्षा शिक्षण ही एकमात्र विकल्प बचता है, जहाँ विद्यार्थियों को उनकी उम्र और उनके मानसिक स्तर के अनुसार न्यूनतम अधिगम की भी प्राप्ति नहीं हो पाती और विद्यालय प्रबन्धन में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पाठ्यक्रम और विद्यालय प्रबन्धन में अवरोध उत्पन्न होता है। विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के द्वारा अधिगम के लक्ष्य औसत स्तर भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस कारण छात्रों के विद्यालय में ठहराव की समस्या बनी रहती है और उनका सर्वांगीण विकास अवरूद्ध हो जाता है। व्यक्तिगत प्रतिभाएं सामने नहीं आ पातीं और उनका पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। छात्रों के अभिभावकों का सहयोग भी न्यूनतम या नगण्य रहता है। आशा करती हूँ कि आप सभी इस नवाचार को अपने विद्यालय में लागू कर विद्यालयी गतिविधियों को सुगम बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे।
 धन्यवाद 
मित्रो आपने देखा कि किस प्रकार एक अकेली बहन ने बेसिक शिक्षा की अव्यवस्थित व्यवस्था के बीच भी अपनी सकारात्मक सोच से हमें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया है।
अतः मिशन शिक्षण संवाद की ओर से वन्दनीय बहन मीना कुमारी जी एवं उनके विद्यालय की बाल संसद के सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
 _आओ हम सब हाथ मिलायें।_
      _बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें।
☀ आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का  Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ_
 
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
08/02/2017
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