१०५- अनमोल रत्न अनुपमा अग्रहरि, प्रा० वि० सदरुद्दीनपुर, सुइथाकला, जौनपुर

मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-जौनपुर की अनमोल रत्न आदर्श शिक्षिका वन्दनीय बहन अनुपमा अग्रहरी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने सड़क के किनारे बने एक ऐसे विद्यालय को अपनी सकारात्मक सोच के संकल्प से विकसित किया, जहाँ अभिभावक अपने बच्चों को किसी अनहोनी दुर्घटना के भय के कारण भेजना ही नहीं चाहते हों।
जहाँ हम सबकेे लिए अनुकूल परिस्थितियों में भी बच्चों को विद्यालय से जोड़कर रखना एक चुनौती होती है वहीं बहन जी ने अपनी आदर्श कविता की पक्तिंयों की शक्ति से भय और अविश्वास के वातावरण को विश्वास और निर्भयता के रूप में बदल दिया।
तो आइये जानते है बहन जी का आदर्श विद्यालय प्रबंधन और आदर्श कविता--

महोदय,
मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से आज मैं अनुपमा अग्रहरी, बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों से यह कहना चाहूंगी कि ......
“खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।„
इन्हीं कविता की शब्द शक्ति से तीन वर्ष पूर्व सन-2013 में, जब मैं नवनिर्मित प्राथमिक विद्यालय सदरुद्दीनपुर में आई तो वहाँं न कोई शिक्षक था और ना ही कोई शिक्षार्थी।
सड़क के ठीक किनारे किसी बेसिक परिषद के स्कूल के लिए यह चुनौती बहुत बड़ी थी, पर ना जाने क्यों मन में यह हौसला था कि मैं यह सब कर पाऊंगी| और हुआ भी वही, मैंने नामांकन हेतु कठिन परिश्रम किया और पहले ही वर्ष सिर्फ 3 माह के भीतर विद्यालय में 63 बच्चों का नामांकन करने में मैं सफल हो गई|
अब अगली चुनौती थी की उपस्थिति को नियमित बनाए रखना, इसके लिए मैंने तरह-तरह के प्रयोग किए विभिन्न तरह के नवाचारों द्वारा उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास करने लगी| जैसे- बच्चों को नित नए खेल खिलवाना, उन्हें लिखने के लिए पेन, पेंसिल, कॉपी आदि लाकर देना, रोचक चित्रों वाली किताबें ला कर देना, रोज नई-नई कहानियाँ सुनाना इत्यादि|
मेरा प्रयासों ने रंग लाना शुरू ही हुआ था कि 4 अप्रैल सन-2014 की सुबह-सुबह बेहद आश्चर्यजनक ढंग से एक तेज रफ्तार पिकअप विद्यालय की छत पर चढ़ गई। हालांकि किसी की जान और माल का नुकसान तो नहीं हुआ परंतु मेरे लिए यह एक विकट समस्या की घड़ी आ गई| अभिभावकों ने डर से बच्चों को विद्यालय भेजना ही बंद कर दिया उनका कहना था कि यही दुर्घटना अगर विद्यालय समय में होती तो क्या होता?
मैं अनुत्तरित थी| फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर सिलसिला शुरू हुआ अभिभावकों को समझाने बुझाने का कि किसी अनहोनी के डर मात्र से आप अपने बच्चों की जिंदगी कैसे बर्बाद कर सकते हैं? पुनः मैं अपने अथक प्रयास में कामयाब रही। आज मात्र 3 वर्षों में विद्यालय में 140 नामांकित छात्र हैं वह 4 अध्यापक हैं, मेरा कारवां बढ़ने लगा है| विद्यालय के बेहद कर्मठ एवं उत्साहित शिक्षक श्री प्रदीप यादव, श्रीमती ज्योति मिश्रा एवं श्री महेंद्र कुमार के निरंतर सहयोग एवं समर्पण के कारण विद्यालय में पठन पाठन का स्तर काफी उत्तम है। बात चाहे अनुशासन की हो या मिड डे मील की हम किसी को किसी भी प्रकार के शिकायत का मौका नहीं देते|विद्यालय में समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं, उत्सवों आदि का आयोजन किया जाता है।
1- विद्यालय प्रांगण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने का हर संभव प्रयास करना।
2- स्वयं विद्यालय के स्टाफ द्वारा दीवारों को आकर्षक एवं जागरुकता बढ़ाने वाले चित्रों से चित्रित करना|
3- सभी राष्ट्रीय एवं धार्मिक त्योहारों को धूमधाम एवं उत्साह से मनाना|
4-विद्यालय परिसर को वृक्षारोपण के द्वारा एवं सुंदर फूलों के पौधों से सजाना|
5- इंटर स्कूल क्विज कंपटीशन करा कर बच्चों एवं अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ाना।
6- प्रतिवर्ष स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत विद्यालय उत्सव मना कर एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर जनमानस में सरकारी स्कूलों के प्रति बैठे अविश्वास की भावना को मिटाना|
7- विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र छात्राओं को अधिकारियों एवं प्रसिद्ध लोगों से पुरस्कृत करवाना|
8- प्रत्येक शनिवार बालसभा के अंतर्गत बच्चों को गीत, नृत्य, कविताएं, नाटक आदि सिखाकर उनके अंदर आत्मविश्वास की भावना विकसित करना|
9- किसी बच्चे के बीमार हो जाने पर विद्यालय स्टाफ का उसके घर पर जाकर मिलना ताकि उसका लगाव अध्यापकों से बढ़ सके|
10-प्रत्येक बच्चे के जन्मदिन पर उसे उपहार देकर उसका मनोबल बढ़ाना|
हमारी यह कोशिश है कि हम अपने विद्यालय के छात्र छात्राओं का संपूर्ण विकास कर सकें एवं गर्व से कह सकें कि हम बेसिक शिक्षा परिषद के एक जिम्मेदार शिक्षक हैं।
विभिन्न चित्रों के माध्यम से मैं विद्यालय में होने वाली गतिविधियों को आपसे साझा करना चाहूंगी |
अनुपमा अग्रहरी
प्रा० वि० सदरुद्दीनपुर
विकास खण्ड- सुइथाकला
जनपद- जौनपुर
मित्रो आपने बहन जी के साहस और कर्तव्य के विश्वास को जाना कि कैसे आपने एक विद्यालय को आदर्श और विश्वास का प्रतीक एवं हम सब के लिए अनुकरणीय बनाया।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन जी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
“शिक्षण संवाद„ में प्रकाशित करने के लिए विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों की फोटो और विवरण, सक्सेज स्टोरी के साथ WhatsApp no- 9458278429 पर भेजें।
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*मिशन शिक्षण संवाद-* 9458278429
१- सीतापुर- 8896420420
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६- पीलीभीत- 7409273565
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८- कानपुर न- 9450769349
९-भदोही - 9452710600
१०- औरैया- 9456843029
११- चित्रकूट- 9453260203
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२६-शामली- 9411893002
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२८- महराजगंज- 9580218590
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३६- बुलन्दशहर- 9458278429
३७- कन्नौज- 9453873201
*नोट- यदि किसी जनपद का नाम छूटा हो तो कृपया अपने जनपद के मिशन शिक्षण संवाद समूह में 9458278429 को जोड़कर अवगत करा दें।*
साभारः
मिशन शिक्षण संवाद
सहयोगी:
विमल कुमार
कानपुर देहात

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