६५- शिल्पी गुप्ता, प्रा० वि० चाँदपुर, हरख, बाराबंकी
मित्रो आज हम मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों के परिचय के क्रम में अपनी आदर्श शिक्षिका बहन शिल्पी गुप्ता जनपद- बाराबंकी से परिचय करा रहे हैं। वैसे बाराबंकी जनपद बेसिक शिक्षा में योगदान के लिए राष्ट्रीय पहचान तो पहले से ही रखता है क्योंकि इसी जनपद में वह आदर्श और महान शिक्षक जोड़ी भी रहती है जिसे हम सम्मानित आशुतोष आनन्द अवश्थी और सुशील कुमार जी के नाम से जानते हैं। इन्हीं भाईयों के समान हमारी बहन शिल्पी गुप्ता ने बेसिक शिक्षा में अपने नवाचारों द्वारा हमें बेसिक शिक्षा के शिक्षक के रूप में आने वाली कई महत्वपूर्ण समस्याओं को सुलझाने का रास्ता दिखाया है। जिनमें:---
१- बालिकाओं का विद्यालय में ठहराव।
२- विद्यालय में जनसहभागिता द्वारा पेड़- पौधों की सुरक्षा।
३- बच्चों को सुन्दर कार्य पुस्तकाओं द्वारा कम शिक्षकों की समस्या का समाधान आदि प्रमुख हैं।
१- बालिकाओं का विद्यालय में ठहराव।
२- विद्यालय में जनसहभागिता द्वारा पेड़- पौधों की सुरक्षा।
३- बच्चों को सुन्दर कार्य पुस्तकाओं द्वारा कम शिक्षकों की समस्या का समाधान आदि प्रमुख हैं।
"एक आदर्श शिक्षक के लिए कहा भी जाता है कि यदि बच्चें आपकी बात ऐसे नहीं समझते है जैसा आप समझाना चाहते हैं तो उन्हें वैसे समझाना चाहिए जैसे वह समझना चाहते हैं„
यही आदर्श सूत्र का प्रयोग बहन जी ने अपने शिक्षण कौशल में किया है। आइये जानते हैं। सीखते है कि कैसे आज के हालातों के बीच हम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। उन्हीं के शब्दों में :--
यही आदर्श सूत्र का प्रयोग बहन जी ने अपने शिक्षण कौशल में किया है। आइये जानते हैं। सीखते है कि कैसे आज के हालातों के बीच हम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। उन्हीं के शब्दों में :--
सर जी,
सहायक अध्यापिका के रूप में मेरी पहली नियुक्ति जिले के आदर्श विद्यालय प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा में 9 अगस्त 2010 में हुई। जहाँ पर मैंने पहले से कार्यरत इo प्रo अo सुशील कुमार सर के कार्यों से प्रभावित होकर मैंने भी उन्हें विद्यालय के विकास में अपना योगदान देना प्रारम्भ किया। यहाँ पर मुझे अपने अध्यापन कौशल में वृद्धि के अवसर प्राप्त हुए। विद्यालय में कक्षा 4, 5 में पढ़ने वाली कुछ बड़ी लड़कियां अक्सर विद्यालय न आकर घर के काम या बकरियाँ चराने का काम करती थी। मैंने ऐसी लड़कियों को विद्यालय से जोड़ने के उद्देश्य से विद्यालय में लड़कियों की पसंद का घर की सजावट के सामान बनाना प्रारम्भ किया। कक्षा शिक्षण के साथ -साथ खाली पीरियड में बच्चों को क्राफ्ट के अन्तर्गत विद्यालय में मौजूद अप्रयोज्य सामग्री, रद्दी कागज से तरह- तरह के फूल, बुकेँ, फ्लावर स्टैंड, झालर, मिट्टी के खिलौने आदि बनाना सिखाया गया। चित्रकला, मेहंदी,रंगोली बनाना सिखाया। इससे बच्चों में विद्यालय के प्रति लगाव व ठहराव में वृद्धि हुई। गर्मियों की छुट्टियों में विद्यालय में समर कैंप का आयोजन किया जिसमें विद्यालय में पढ़ने वाली छात्र छात्राओं के साथ आसपास की लड़कियों को शिल्पकला के अंतर्गत सॉफ्ट टॉयज, artificial jwellary, कई प्रकार के फूल, कपड़े की गुड़िया आदि बनाना सिखाया। लड़कियों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने व शिल्पकला का ज्ञान देने के लिए वर्ष 2013 में तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से प्रशस्ति पत्र मिला। विद्यालय में मेरे व प्रoअo श्री सुशील कुमार जी के द्वारा किये गए कार्यों को लघु फ़िल्म के माध्यम से दूरदर्शन पर दिखाया गया। इसके पश्चात 30 अप्रैल वर्ष 2015 को मेरी पदोन्नति प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर में हुई। प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर में स्थायी प्रधानाध्यापक न होने से अव्यवस्थाओं का बोलबाला था। बच्चे अनुशासित नहीं थे और जैसे -तैसे स्कूल चले आते थे और कक्षाएं व्यवस्थित नहीं थी। संसाधनों का आभाव था। मैंने पूर्व विद्यालय से प्राप्त अनुभवों का यहाँ पर प्रयोग किया। सर्वप्रथम अपने सहयोगी अध्यापकों से विद्यालय की व्यवस्था में सुधार लाने और बच्चों से सीधे जुड़ाव हेतु निवेदन किया।बच्चों के अभिभावकों की बैठक में बच्चों की स्वच्छता व विद्यालय में नियमित भेजने का आग्रह किया। बच्चों को सामान्य शिष्टाचार की बाते ,साफ सफाई का महत्त्व आदि नैतिक ज्ञान दिया। विद्यालय की रंगाई-पुताई उत्तम क्वालिटी की करवा कर दीवारों पर शिक्षण सहायक सामग्री पेंट करवाई। खेलकूद के सामान की व्यवस्था की। प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा की भांति अपने विद्यालय को हरा भरा करने के उद्देश्य से खण्ड शिक्षाधिकारी श्री राम कुमार द्विवेदी, ग्राम प्रधान व अध्यक्ष की उपस्थिति में अपने स्टाफ के सहयोग से वृक्षारोपण करवाया। शीघ्र अतिशीघ्र ही विद्यालय हरा- भरा हो गया। प्रारम्भ में लोगों ने बताया किया यहाँ पेड़- पौधे लगवाना मूर्खता है परंतु मैंने आस पास के लोगों को अपनी मुहिम में शामिल किया और परिणाम सुखद रहा। कक्षा शिक्षण में सुधार हेतु अलग अलग कक्षाएं संचालित करवाई। यहाँ बच्चों को शिल्पकला का ज्ञान देना प्रारम्भ किया।
रक्षाबंधन के अवसर पर बच्चों से राखियां बनवाकर भारतीय सेना के नौ जवानों हेतु भेजा गया। विद्यालय में पानी की समस्या को दूर करने हेतु हैंडपंप स्थानीय सहयोग से लगवाया। विद्यालय की बालिकाओं को नृत्य सिखाया गया।
इस प्रकार मैंने वर्ष 2010 से अब तक पूरी निष्ठा से बच्चों के हित को ध्यान में रखकर उनके सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया और अपने विद्यालय को सुन्दर और हरा भरा बनाया। छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिंदुस्तान समाचार पत्र की तरफ से बाराबंकी जनपद में महिला सशक्तिकरण के अवसर पर वर्ष 2015 में 'बालिका शिक्षा' के लिए पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र मिला। अभी हाल में अरविंदो सोसाइटी द्वारा आयोजित शून्य निवेश नवाचार की कार्यशाला में मुझे भी प्रदेश के अन्य 34 प्रतिभागियों व ZIIEI की ज़्यूरी members के समक्ष अपने नवाचारों को प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ।
सहायक अध्यापिका के रूप में मेरी पहली नियुक्ति जिले के आदर्श विद्यालय प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा में 9 अगस्त 2010 में हुई। जहाँ पर मैंने पहले से कार्यरत इo प्रo अo सुशील कुमार सर के कार्यों से प्रभावित होकर मैंने भी उन्हें विद्यालय के विकास में अपना योगदान देना प्रारम्भ किया। यहाँ पर मुझे अपने अध्यापन कौशल में वृद्धि के अवसर प्राप्त हुए। विद्यालय में कक्षा 4, 5 में पढ़ने वाली कुछ बड़ी लड़कियां अक्सर विद्यालय न आकर घर के काम या बकरियाँ चराने का काम करती थी। मैंने ऐसी लड़कियों को विद्यालय से जोड़ने के उद्देश्य से विद्यालय में लड़कियों की पसंद का घर की सजावट के सामान बनाना प्रारम्भ किया। कक्षा शिक्षण के साथ -साथ खाली पीरियड में बच्चों को क्राफ्ट के अन्तर्गत विद्यालय में मौजूद अप्रयोज्य सामग्री, रद्दी कागज से तरह- तरह के फूल, बुकेँ, फ्लावर स्टैंड, झालर, मिट्टी के खिलौने आदि बनाना सिखाया गया। चित्रकला, मेहंदी,रंगोली बनाना सिखाया। इससे बच्चों में विद्यालय के प्रति लगाव व ठहराव में वृद्धि हुई। गर्मियों की छुट्टियों में विद्यालय में समर कैंप का आयोजन किया जिसमें विद्यालय में पढ़ने वाली छात्र छात्राओं के साथ आसपास की लड़कियों को शिल्पकला के अंतर्गत सॉफ्ट टॉयज, artificial jwellary, कई प्रकार के फूल, कपड़े की गुड़िया आदि बनाना सिखाया। लड़कियों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने व शिल्पकला का ज्ञान देने के लिए वर्ष 2013 में तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से प्रशस्ति पत्र मिला। विद्यालय में मेरे व प्रoअo श्री सुशील कुमार जी के द्वारा किये गए कार्यों को लघु फ़िल्म के माध्यम से दूरदर्शन पर दिखाया गया। इसके पश्चात 30 अप्रैल वर्ष 2015 को मेरी पदोन्नति प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर में हुई। प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर में स्थायी प्रधानाध्यापक न होने से अव्यवस्थाओं का बोलबाला था। बच्चे अनुशासित नहीं थे और जैसे -तैसे स्कूल चले आते थे और कक्षाएं व्यवस्थित नहीं थी। संसाधनों का आभाव था। मैंने पूर्व विद्यालय से प्राप्त अनुभवों का यहाँ पर प्रयोग किया। सर्वप्रथम अपने सहयोगी अध्यापकों से विद्यालय की व्यवस्था में सुधार लाने और बच्चों से सीधे जुड़ाव हेतु निवेदन किया।बच्चों के अभिभावकों की बैठक में बच्चों की स्वच्छता व विद्यालय में नियमित भेजने का आग्रह किया। बच्चों को सामान्य शिष्टाचार की बाते ,साफ सफाई का महत्त्व आदि नैतिक ज्ञान दिया। विद्यालय की रंगाई-पुताई उत्तम क्वालिटी की करवा कर दीवारों पर शिक्षण सहायक सामग्री पेंट करवाई। खेलकूद के सामान की व्यवस्था की। प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा की भांति अपने विद्यालय को हरा भरा करने के उद्देश्य से खण्ड शिक्षाधिकारी श्री राम कुमार द्विवेदी, ग्राम प्रधान व अध्यक्ष की उपस्थिति में अपने स्टाफ के सहयोग से वृक्षारोपण करवाया। शीघ्र अतिशीघ्र ही विद्यालय हरा- भरा हो गया। प्रारम्भ में लोगों ने बताया किया यहाँ पेड़- पौधे लगवाना मूर्खता है परंतु मैंने आस पास के लोगों को अपनी मुहिम में शामिल किया और परिणाम सुखद रहा। कक्षा शिक्षण में सुधार हेतु अलग अलग कक्षाएं संचालित करवाई। यहाँ बच्चों को शिल्पकला का ज्ञान देना प्रारम्भ किया।
रक्षाबंधन के अवसर पर बच्चों से राखियां बनवाकर भारतीय सेना के नौ जवानों हेतु भेजा गया। विद्यालय में पानी की समस्या को दूर करने हेतु हैंडपंप स्थानीय सहयोग से लगवाया। विद्यालय की बालिकाओं को नृत्य सिखाया गया।
इस प्रकार मैंने वर्ष 2010 से अब तक पूरी निष्ठा से बच्चों के हित को ध्यान में रखकर उनके सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया और अपने विद्यालय को सुन्दर और हरा भरा बनाया। छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिंदुस्तान समाचार पत्र की तरफ से बाराबंकी जनपद में महिला सशक्तिकरण के अवसर पर वर्ष 2015 में 'बालिका शिक्षा' के लिए पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र मिला। अभी हाल में अरविंदो सोसाइटी द्वारा आयोजित शून्य निवेश नवाचार की कार्यशाला में मुझे भी प्रदेश के अन्य 34 प्रतिभागियों व ZIIEI की ज़्यूरी members के समक्ष अपने नवाचारों को प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ।
*मेरा सपना है की मैं अपने सहयोगी शिक्षकों के सहयोग से अपने विद्यालय को अपने पूर्व विद्यालय प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा की भाँति आदर्श विद्यालय बना सकूँ*।
*शिल्पी गुप्ता*
प्रा० वि० चाँदपुर
वि० खण्ड- हरख
जनपद- बाराबंकी
*मित्रों आपने देखा की शिक्षिका बहन शिल्पी ने अपने नाम के अनुरूप कार्य करके शिल्प कला को बढ़ावा देकर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में व बालिकाओं को निष्प्रयोज्य सामान से सजावट का सुन्दर सामान बना कर अपने घर को सजाना एवं उसकी बिक्री करके आर्थिक लाभ अर्जित करने योग्य बनाने का कार्य किया है। यही नहीं विद्यालय में सुन्दर tlm व वृक्षारोपण करवा कर शैक्षिक और भौतिक वातावरण विकसित करने का प्रयास किया।*
प्रा० वि० चाँदपुर
वि० खण्ड- हरख
जनपद- बाराबंकी
*मित्रों आपने देखा की शिक्षिका बहन शिल्पी ने अपने नाम के अनुरूप कार्य करके शिल्प कला को बढ़ावा देकर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में व बालिकाओं को निष्प्रयोज्य सामान से सजावट का सुन्दर सामान बना कर अपने घर को सजाना एवं उसकी बिक्री करके आर्थिक लाभ अर्जित करने योग्य बनाने का कार्य किया है। यही नहीं विद्यालय में सुन्दर tlm व वृक्षारोपण करवा कर शैक्षिक और भौतिक वातावरण विकसित करने का प्रयास किया।*
बेसिक शिक्षा को सतत नयी दिशा प्रदान करने वाली बहन शिल्पी गुप्ता जी एवं सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
*उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।*
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
30/08/2016
विमल कुमार
कानपुर देहात
30/08/2016
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