७४- रश्मि मिश्रा पू०मा०वि० मरुआन बाबा बेलखरनाथ धाम, प्रतापगढ़
मित्रो आज हम आपको मिशन शिक्षण संवाद की ओर से आपका परिचय जनपद प्रतापगढ़ की आदर्श शिक्षिका बहन रश्मि मिश्रा से करा रहे हैं। जिन्होंने बेसिक शिक्षा के एक विद्यालय को नहीं, कई विद्यालयों को अपनी सकारात्मक सोच और मेहनत की दम पर आदर्श विद्यालय बनाने में कामयाबी प्राप्त की है। इसीलिए हम आपको बेसिक शिक्षा में परिवर्तन की प्रतीक बहन भी कहते हैं। आपने बेसिक शिक्षा की तमाम विषम परिस्थितियों और अव्यवहारिक व्यवस्था के बीच अपने कर्म और शिक्षक के शिक्षण धर्म से समझौता नहीं किया। आइये जानते हैं आपके द्वारा बेसिक शिक्षा के लिए किए गये सराहनीय कार्यों को फोटो और आपके शब्दों के माध्यम से:-------
मेरी प्रथम नियुक्ति १२ जुलाई २०११ को स०अ० के पद पर प्रा०वि० चौखड़ा, बाबा बेलखरनाथ धाम, प्रतापगढ़ में हुई। मेरे लिए बस किसी तरह इन बच्चों को एक अच्छा परिवेश प्रदान करना था। शुरु का पूरा एक माह उन्हें मात्राएँ सिखाने में लगा। कक्षा ४,५ दोनों को एक साथ शिक्षण कार्य किया। प्रत्येक बच्चे से एक- एक शब्द पढ़वाने का कार्य किया दिन के बाकी बचे समय में खो-खो, कबड्डी, कला, क्राफ्ट द्वारा उन्हें जोड़े रखा। इन सब प्रयासों से विद्यालय में संख्या भी बढ़ी और बच्चों का ठहराव भी। प्रार्थना में होने वाली गतिविधियों ने गांव के लोगों को भी आकर्षित किया। धीरे -धीरे आस- पास के नर्सरी स्कूलों से भी बच्चों का आना मिसाल बन गया। गणित, विज्ञान, हिन्दी, English, का कोई भी प्रश्न विद्यालय के बच्चों के लिए अब खेल बन गया था। इन्हीं सकारात्मक प्रयासों को देखते हुए २०/२/१५ को बेसिक शिक्षा मंच की ओर से प्रतापगढ़ के बी०एस०ए० श्री एस०टी०हुसैन जी द्वारा पुरस्कृत किया गया। जुलाई २०१५ में मेरा चयन अंग्रेजी माध्यम के माडल स्कूल भुवालपुर में हो गया। मैंने और हमारी प्र० अ० नीलम सिंह व साथी अध्यापकों ने केवल कुछ माह में अप्रत्याशित सफलता हासिल की। लेकिन विज्ञान, गणित की उच्च प्रा० वि० की विशेष नियुक्ति में मुझे पूर्व माध्यमिक विद्यालय मरूआन आना पड़ा। ८/१०/२०१५ को मैंने यहाँ कार्य भार ग्रहण किया। यह विद्यालय अब तक का मेरा सबसे चुनौती भरा विद्यालय है, लड़कियों को स्कूल न भेजना, कतिपय कारणों से अभिभावकों का विद्यालय से जुड़ाव न होना। परन्तु मेरे कार्य व मेहनत का असर अब शुरू वाती दैर में है। इस समय मेरा पूर्व माध्यमिक विद्यालय मरूआन बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़ आप सबके सम्मुख है। विगत सफलताओं की भांति मुझे इस बार भी विद्यालय को श्रेष्ठ बनाना है।
- रश्मि मिश्रा स०अ० पूर्व माध्यमिक विद्यालय मरूआन, ब्लाक बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़
- रश्मि मिश्रा स०अ० पूर्व माध्यमिक विद्यालय मरूआन, ब्लाक बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़
मित्रो आपने पढ़ा और देखा कि रश्मि बहन ने किस प्रकार एक के बाद एक स्कूल को अपने सकारात्मक प्रयासों से शुन्य से शिखर की ओर का रास्ता दिखाया।
मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन रश्मि मिश्रा एवं उनके सहयोगी स्टाफ को सतत उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
17/09/2016
विमल कुमार
कानपुर देहात
17/09/2016
कमाल हैं, कमाल हैं,
ReplyDeleteकमाल है ये बेटियाँ।
रसोईघर में मुस्कुरा के, सेंकती हैं रोटियाँ,
बछेंद्री पाल की तरह, करें फतेह चोटियाँ।
कमाल हैं, कमाल हैं,
कमाल है, ये बेटियाँ।
घर मे गुनगुनाती हैं,कोमल नदी सी बेटियाँ,
फौज में दहाड़ती भी, शेरनी सी बेटियाँ।
कमाल हैं, कमाल हैं,
कमाल हैं, ये बेटियाँ।
नाज़ुक कली से हाथ मे, खनखनाती चूड़ियाँ,
मैरी कॉम के मुक्के सी, देख लो हथेलियाँ।
कमाल हैं, कमाल हैं,
कमाल हैं, ये बेटियाँ।
छुई मुई सी देखो ये, शर्माती बेटियाँ,
दुर्गा,काली बनती तो, शौर्य की निशानियां।
कमाल हैं, कमाल हैं,
कमाल हैं, ये बेटियाँ।
डरी-डरी सी सहमी सी, धरती पे बेटियाँ,
बन गयी कब कल्पना, आकाश की ये बेटियाँ।
कमाल हैं, कमाल हैं,
कमाल हैं, ये बेटियाँ।
- रश्मि मिश्रा।
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