७२- पंकज कुमार वार्ष्णेय, प्रा० वि० पिपरिया, असफपुर, बदायूँ

मित्रो आज हम विजय दशमी की शुभकामनाओं के साथ आपको मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से आपका परिचय एक और बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न से करा रहे हैं। जिन्होंने एक तालाब बने स्कूल को अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति से नकारात्मकता रूपी रावण का वध कर विजयी अभियान शुरू किया। जो जनपद- बदायूँ की नवाचारी उस बगिया के फूल हैं जिसे कभी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदरणीय श्री जगदीश चन्द्र पाण्डेय जी, श्री महेश चन्द्र पाठक जी और भाई कुँवरसेन जी तथा डॉ मनोज कुमार वार्ष्णेय जी ने रोपित और सिंचित किया और सतत कर रहे हैं। आज उसी बगिया के नवाचारी फूल जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश और देश में अपनी खुशबू बिखेरते हुए हम सब में नयी चेतना, जागरूकता और सकारात्मक सोच व ऊर्जा से परिपूर्ण कर रहे हैं।
आइये मिलते है मिशन शिक्षण संवाद के अनमोल रत्न से उनके विद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों के माध्यम से:-
पंकज कुमार वार्ष्णेय
प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय पिपरिया
विकास क्षेत्र- आसफपुर
जनपद- बदायूँ
की ओर से ..
विद्यालय की गतिविधियाँ और उपलब्धियाँ---


श्रीमन 4 सितंबर 2010 को मैंने इस प्रा.वि. पिपरिया में प्र.अ.के पद पर कार्यभार ग्रहण किया था..उस समय विद्यालय में नामांकन- 384 बच्चों का था...जो हाथी के दाँतो के समान दिखाने के अलग और खाने के अलग थे, परिणाम स्वरूप विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति मात्र पाँच से दस बच्चे थी।
परिवेशीय माहौल को देखा तो बहुत गंदा..कहीं
कूड़े के ढेर ..कहीं घूरों के गड्ढों से सुसज्जित खुला मैदान आदि।
बालक विद्यालय आने को तैयार नही..
अभिभावकों का एक ही जबाब कि विद्यालय खुलता नही पढाई होती नही तो बच्चे घर रहें या स्कूल में, अन्तर  क्या है, इसलिए क्यों बच्चे  भेजें..?????
मैं अचंभित था..। सोचा क्या किया जाय..। प्रयास शुरू किये अपने सहयोगी स्टाफ के साथ घर- घर सम्पर्क कर अभिभावकों से चर्चा शुरू हुई कि आप एक बार अपने बच्चे को विद्यालय तो भेजिए, अगर विद्यालय न खुले पढाई न हो तो आप जो चाहें करें...।
सर बहुत ही मुश्किल से दो तीन लोगों को तैयार किया..और समयानुसार विद्यालय खोलना समय से छुटटी करना..शुरु किया..स्टाफ को समझाया कि खोयी हुई साख बहुत मुश्किल से मिलती है अतः विद्यालय भी समय से आवें और शिक्षण कार्य भी करें।
स्टाफ का सहयोग भी मिला और अभिभावकों ने भी विश्वास किया ... और अन्ततः....
मुझे कामयाबी मिली..। आज के समय में मेरे यहाँ 228 बच्चे नामांकित हैं।
लगातार 150 -160 तक बच्चों की उपस्थिति रहती है,और आश्चर्य की बात तो यह है कि गॉव की 95% आबादी  निरक्षर है। फिर भी अब 95 से 98% बच्चे स्वच्छ एवं नहा- धोकर आते हैं।
�★गतिविधियाँ...
�1- स्वच्छता के लिए ..अभिभावकों को जागरूक किया..।
�2-  प्रतिदिन उपस्थिति ...के लिए अभिभावकों से निरंतर संपर्क बनाये रखा..हर कक्षा में हर बच्चे पर पैनी नजर रखी..।
�3- याद करना..प्रार्थना स्थल पर सामान्य जानकारी देना ।
प्रश्नोत्तर करना..और जबाब देने वाले बच्चों को पुरुस्कृत करना..।
�4- लेख सुधार के लिए पेन की जगह लकड़ी की पेंसिल रबर का प्रयोग कराया..।
विद्यालय में लाकर पेंसिल रबर कटर कापी और स्केच कलर रख दिये..
ताकि किसी वस्तु को बच्चे को घर न जाना पड़े..।
प्रत्येक बच्चे को गणवेश की उपलब्धता..।
कापी पेंसिल रबर कटर..कलर .
सब विद्यालय में हम स्वयं खरीदकर रखता हूँ जिसे उन बच्चों दे दिया जाता है जिनके पास इन वस्तुओं की कमी है यह सामिग्री इसलिए विद्यालय में रखी है ताकि बच्चे गॉव में जाकर खेलने व घूमने न पड़ जायें..।
यह प्रयोग भी सफल रहा..।
गत सत्र में मेरे विद्यालय बालिकाओं  की कबड्डी की टीम मंडल स्तर पर विजयी होकर राज्य स्तर तक पहुँची..।
और दुर्भाग्य यह रहा कि सेमीफाइनल में बाहर हो गयी..।
आज विद्यालय न्याय पंचायत स्तर पर प्रथम और ब्लॉक में दूसरे स्थान पर है..।जिसकी कुछ झलकियाँ आप सबके सामने हैं।
धन्यवाद सर
पंकज कुमार वार्ष्णेय
आपने पंकज जी की गतिविधियों से जाना कि किस प्रकार एक असफल और अविस्वास के प्रतीक बन चुके विद्यालय को सफलता की राह और विस्वास का प्रतीक बनाया।
जनपद- बदायूँ की नवाचारी बगिया के फूल भाई पंकज जी एवं उनके विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर से सदा शिक्षा की खुशबू बिखेरने की उज्ज्वल कामना के साथ बहुत -बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते हैं  तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
11/10/2016

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