८४- प्रीती वर्मा, प्रा० वि० कुन्देरामपुर, अमौली, फतेहपुर

मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद फतेहपुर की आदर्श शिक्षिका बहन प्रीती वर्मा जी से करा रहे हैं। जिन्होंने मात्र एक सत्र में अपने विद्यालय को, जिसकी उल्टी गिनती शुरू होकर शून्य की ओर अग्रसर थी उसे अपनी सकारात्मक सोच से पुनः शिखर  की ओर अग्रसर कर दिखाया।
आज जहाँ बेसिक शिक्षा में नकारात्मकता ऐसी जड़े जमा चुकी है। कि अच्छा काम करने वाले को उत्साह की जगह हतोत्साहित करने की निःशुल्क व्यवस्था लागू है। क्योंकि आलोचना वह सुगम हथियार है जो स्वयं बिना किसी प्रयास के स्वचलित हथियार के समान गतिशील रहती है।
लेकिन मिशन शिक्षण संवाद के सहयोगी एवं अनमोल रत्न ऐसे मानवीय सेवा और राष्ट्रभक्ति के मतबाले हैं जो अपने सकारात्मक सोच की शक्ति से बिना किसी संकोच और शंका के सतत आगे बढ़ने वाले है।
तो आइये मित्रो मिलते है इन्हीं बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों में बहन प्रीती वर्मा जी से, उन्हीं के सम्मानित शब्दों में :--

28 फरवरी 2015 को हमने प्रा.वि.कुन्देरामपुर में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। हमें यह बताया गया था कि एक समय में यह विद्यालय 'ए' श्रेणी का था परन्तु पिछले कुछ ही सालों में विद्यालय की स्थिति पूर्णतः बदल चुकी है। यह फीडबैक हमारे लिए एक चुनौती था। हमने तभी मन में ठान लिया कि विद्यालय का खोया सम्मान हम वापस ला कर रहेंगे। दिमाग में यह था कितना भी स्तर गिरा होगा पर बहुत खराब स्थिति तो नहीं होगी परन्तु जब विद्यालय आए तो यहाँ का नज़ारा हमारी सोच से बिल्कुल अलग था। विद्यालय में नामांकित छात्रों की संख्या 51 थी उनमें से 20-22 ऐसे जिन्हें कभी विद्यालय नहीं आना था बस नाम लिखे थे। यानी वास्तविक संख्या विद्यालय की मात्र 31-32 ही थी। पूरा सत्र बीत चुका था पर बच्चों को पढाई के नाम पर बस किसी-किसी विषय में एक-दो पाठ लिखवाए गए थे। इसकी वजह जाननी चाही तो सभी शिक्षकों ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी। खैर अब क्या हो सकता था वार्षिक परीक्षा सर पर थी। परीक्षा समाप्त हुईं और नवीन नामांकन का समय आया और साथ ही स्कूल चलो अभियान का।
  जब घर-घर जा के अभिभावकों से बच्चों के विद्यालय में प्रवेश के लिए सम्पर्क किया गया तो लगभग सबने यह कहते हुये मना कर दिया नाम लिखवाने से कि विद्यालय में पढाई नहीं होती पर कुछ लोग ऐसे भी थे जो हमारे द्वारा पिछले विद्यालय में स.अ के पद पर किए गए प्रयासों से परिचित थे उनमें एक विद्यालय की रसोईया माता और विद्यालय एस.एम.सी के उपाध्यक्ष भी थे। उनके कहने पर और हमारे इस आश्वासन पर कि आप सब हमारे कहने पर अपने बच्चे विद्यालय भेजिए और अगर अब पढाई न हो तो हमसे शिकायत करने का पूरा अधिकार आपका होगा। इस पर कई अभिभावकों ने अपने बच्चो का विद्यालय में नाम लिखवाया। परिणामस्वरूप सत्र 2015-16 में विद्यालय में नामांकित वास्तविक छात्रों की संख्या जो नियमित विद्यालय आते थे 57 हो गई। उपस्थित प्रतिशत 80-90 का रहने लगा।
अब हमारा मुख्य कार्य था सबसे पहले शिक्षा का स्तर सुधारने का और इसी के साथ अग्रिम सत्र में और अधिक नामांकन हो इसलिए अपने विद्यालय के रखरखाव और बच्चों को कान्वेन्ट के स्तर तक लाने का।
इस हेतु हमन पिछले सत्र में निम्नांकित प्रयास किए-
1. प्रत्येक कक्षा हेतु समय-सारणी बना कर कक्षाओं का  संचालन।
2. विद्यालय में बिजली न होने के कारण प्रार्थना-सभा एवम् सांस्कृतिक कार्यक्रमों हेतु पोर्टेबल माइक की व्यवस्था की।
3. छात्रों को अच्छी आदतें सिखाईं जिसमें बडों का सम्मान, खाने के पहले और बाद में हाथ धोना, सफाई रखना, सहयोग से काम करना आदि हैं।
4. कोई भी कार्य करने में बच्चों के साथ-साथ स्वयं सहभागिता करना जिससे बच्चे हमें खुल कर बात कर सकें और हमें देख कर वे भी प्रेरित हों।
5. बाल सांसद का गठन किया और विद्यालय में किए जाने वाले रोजमर्रा के कार्यों हेतु सामूहिक ड्यूटी बच्चों को आवंटित की इससे बच्चे हर काम को उत्साह और जिम्मेदारी से करते हैं।
6. विद्यालय में हुई पुराई और सही देखभाल न हो पाने के कारण विद्यालय की भूमि की उर्वरता समाप्त हो चुकी थी। उसे वापस लाने के लिए हमने बच्चों के साथ मिल कर पूरे साल विद्यालय मे क्यारियों में गुढ़ाई करने के साथ-साथ बार -बार पांस डलावाई।
7. मध्यावकाश में बच्चों को विभिन्न खेल सिखाए।
8. आर्ट एंड क्राफ्ट में कुछ सामान हमने खरीदा और फिर पुरानी वस्तुओं की सहायता से अनेक उपयोगी वस्तुएं बच्चों को बनाने की कक्षाएं नियमित रूप से संचालित की।
9. अच्छे कार्यों और प्रतियोगिता की भावना को बढाने के उद्देश्य से समय समय पर बच्चों को पुरस्कृत किया।
पिछले सत्र के इन प्रयासों को परिणामस्वरूप इस सत्र में छात्र संख्या में और बढोतरी हुई। अब हमारा उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यालय सुन्दरीकरण भी था। अतः इस सत्र में हमने अब तक निम्नांकित  प्रयास किए है-
1. बच्चों को अपने प्रयास से पूरी ड्रेस टाई-बेल्ट, जूतों सहित वितरित करवाईं।
2 छात्र दैनन्दिन बच्चों के लिए छपवाईं और उसका उपयोग करना बच्चों को सिखाया।
3. समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
4. कक्षाओं में आकर्षक टी.एल.एम. बनवाए।
5. विद्यालय के रखरखाव में पुताई में आकर्षक रंगों का उपयोग किया ।
6. गतिविधि आधारित शिक्षा पर जोर।
7. किताबों एवम्ं कापियों को सुरक्षित रखने हेतु विद्यालय से ही उनमें कवर चढ़ा कर वितरित किया।
8. विद्यालय में क्यारियों का निर्माण और पौधारोपण।
9. एक क्यारी सब्जियों की भी बनवाई।
10. पौधों की सिचाई हेतु पाइप की व्यवस्था की।
इन सभी प्रयासों के कारण इस साल हमारा विद्यालय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना में जिले से चयनित हुआ और अपने विकासखंड से एकमात्र चयनित विद्यालय भी बना। जिस पर अनेंको सकारात्मक और नकारात्मक स्थितियों का सामना भी करना पड़ा। लेकिन हमें जो करना है, जो हमारा कर्म है, एक शिक्षक का धर्म है, वह हम करेंगे ही किसी के कहने और आलोचना को हमने अपनी ताकत बनाना सीख लिया है।
ये तो अभी शुरूआत है...अभी बहुत आगे जाना है।   शिक्षण संवाद एवम् गतिविधियों के माध्यम से कई ऐसे विद्यालय देखने को मिले जिनका हम अभी 10% भी नहीं हैं। पर वह दिन भी जल्द ही आएगा जब हमारा विद्यालय भी सफलता और ख्याति के नए-नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।
प्रीती वर्मा (प्रधानाध्यापिका)
प्रा.वि. कुन्देरामपुर
विकासखंड- अमौली
जनपद-फतेहपुर
https://m.facebook.com/primaryschoolkunderampur1963/
मित्रो आपने देखा एक बहन का हौसला और उत्साह जो निश्चित ही बेसिक शिक्षा में शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा का सहयोगी बनेगा। अतः बहन जी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर से उज्ज्वल भविष्य एवं सतत प्रगति के पथ पर अग्रसर रहने के लिए बहुत- बहुत शुभकामनाएँ!
�मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते हैं  तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
24/10/2016

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