गुरुवर जी

सदा नमन  गुरुवर जो करता
वह  जीवन  में  उन्नति करता
मान सदा  जो रखता गुरु का
कभी नहीं  वो  कष्ट में रहता

फैली जब  हो  तम की कारा
जिसे  मिटाता ज्ञान का तारा
इस  तारे  के मालिक गुरुवर
जिसे तराशें पथ पर चलकर
उनके  मग  से  तम है हटता
सदा नमन गुरुवर जो करता
वह जीवन में उन्नति..........

चलती  राहों  में शूल मिलेगें
फिर भी राहों में  सदा डटेंगें
जिससे  सदा वसूल खिलेंगें
किस्मत के  दर तभी खुलेंगे
कभी न डिगना इन शूलों से
तब  होगा स्वागत  फूलों से
बस गुरुवर  भान जो करता
वह जीवन  में उन्नति करता
सदा नमन गुरुवर...........

उदार  दया  हैं  जिनके गहना
नित  कहते हैं मिलकर रहना
हम  हैं  ऐसे  गुरुजन  के चेले
कदम   बढ़ाते   साथ  अकेले
पल-पल उनका नाम है बढ़ता
सदा  नमन गुरुवर जो करता
वह जीवन में उन्नति...........
   
रचनाकार
देवेन्द्र कश्यप 'निडर',
साहित्यकार व सामाजिक चिंतक,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा, 
जिला-सीतापुर।

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