वाह नो बैग डे
अब न होता विद्यालय नीरस,
जब से चला है प्रतिभा दिवस।।
कहने को तो नो बैग डे है,
पर ज्ञानार्जन को मस्ती भरा डे है।।
बिना बैग के हल्के रहते,
स्कूल भी बच्चे खुशी से आते।।
हर बच्चे में छिपे कई गुण,
टीचर को कहते मेरी भी सुन-सुन।।
तरह-तरह के खेल खिलाते,
बच्चे तो फिर खुश हो जाते।।
कोई भी बच्चा छूट नहीं पाता,
प्रतिभा दिवस तो जब भी आता।।
इसमें न होता कोई दिखावा,
बच्चे की दिखती मौलिकता।।
हर बच्चा है गुणों की खान,
इस दिवस से होती उनकी पहचान।।
बच्चे भी कहने हैं लगे,
हौसले भी अपने बुलन्द करेंगें।।
न मिले मंच तो कोई बात नहीं,
हम अपना मंच बना लेंगे।।
प्रतिभा दिवस से होगी प्रतिभाओं की पहचान,
जिससे बढ़ेगी विद्यालय की शान।।
रचयिता
इन्दु पंवार,
प्रधानाध्यापक,
रा. प्राथमिक विद्यालय गिरगाँव,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
जब से चला है प्रतिभा दिवस।।
कहने को तो नो बैग डे है,
पर ज्ञानार्जन को मस्ती भरा डे है।।
बिना बैग के हल्के रहते,
स्कूल भी बच्चे खुशी से आते।।
हर बच्चे में छिपे कई गुण,
टीचर को कहते मेरी भी सुन-सुन।।
तरह-तरह के खेल खिलाते,
बच्चे तो फिर खुश हो जाते।।
कोई भी बच्चा छूट नहीं पाता,
प्रतिभा दिवस तो जब भी आता।।
इसमें न होता कोई दिखावा,
बच्चे की दिखती मौलिकता।।
हर बच्चा है गुणों की खान,
इस दिवस से होती उनकी पहचान।।
बच्चे भी कहने हैं लगे,
हौसले भी अपने बुलन्द करेंगें।।
न मिले मंच तो कोई बात नहीं,
हम अपना मंच बना लेंगे।।
प्रतिभा दिवस से होगी प्रतिभाओं की पहचान,
जिससे बढ़ेगी विद्यालय की शान।।
रचयिता
इन्दु पंवार,
प्रधानाध्यापक,
रा. प्राथमिक विद्यालय गिरगाँव,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
Very nice
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रयास
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