नारी ही तो हूँ

मैं हूँ कुछ...और... कुछ नहीं भी हूँ।
धुँधली सी तस्वीर में, बहती नदी सी हूँ।
मैं हूँ कभी पार्वती ...तो कभी काली भी हूँ।
मैं हूँ तुलसी आँगन की, तो झाँसी की रानी भी हूँ।
मैं हूँ वो गृहिणी, जो संजो के रखती है घर अपना .....
देश की रक्षा करने वाली रक्षक भी हूँ।
बनी मैं कभी द्रौपदी तो कभी सती भी हूँ....
एक शिक्षक भी है मुझमें और
प्राणदायिनी भी हूँ।
देती हूँ जन्म और पालनहारी भी हूँ।
हर ज़र्रे में हूँ, पर ज़रा सी हूँ....
नमक की तरह ज़ायका भी हूँ।
क्या हूँ मैं???????
कुछ भी तो नहीं! ! !.......
बस साधारण सी नारी ही तो हूँ।

रचयिता
फईज़ा बी,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय भद्रसेन,
विकास खण्ड - सैदपुर,
जनपद - गाजीपुर।


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