बेटी

तितली-सी पंखों वाली
तुम्हारी रंगीन उड़ान हो
तुझे ही देख कर जीना
बेटी तू पापा की जान हो,

'कीहु' जब हँसती हो तो
मेरा दिल खिल जाता है
जब भी तुम रोती हो तो
मन कुण्ठित हो जाता है,

राजदुलारी-सी है काया
मेरे आँगन की पंछी हो
दिन-रात सपना संजोए
मेरे जीवन की पंक्ति हो।

रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।

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