हिन्द की लाज हिंदी

हिन्द की लाज हिंदी को हम बचाने वाले हैं....

भारत माता के लाल हैं निराले देखो!!
घर में ही हिंदी को पड़ रहे लाले हैं।।

अंग्रेजी का साम्राज्य है पनप रहा..
हिंदी की दुकानों पर पड़ रहे ताले हैं।।

हिंदी से है शान मेरी, हिंदी से है अभिमान
अंग्रेजी में ये उदगार लिखने वाले हैं।।

बोली है अनेक और भाषाएँ भी ढेर हैं
पर कहाँ हिंदी जैसी साख रखने वाले हैं।।

कोई कहे कठिन है ये, इसके शब्द पुराने हैं
दे के दुहाई! वो अपनी गिरह बचाने वाले हैं।।

मान का सामान बाँध आज की तारीख बस..
हिंदी की जय-जयकार  करने वाले हैं

हिंदी रोज़ लुट रही, हिंदी रोज़ पिस रही
हम बस आज गुणगान करने वाले हैं।।

और बस ऐसे ही!!!
...हिन्द की लाज हिंदी को हम बचाने वाले हैं।

रचयिता
मीनाक्षी सक्सेना "अमर",
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनौगा,
विकास खण्ड-सिधौली,
जनपद-सीतापुर।

Comments

  1. बहुत सुन्दर, मीनाक्षी जी।

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