उड़ान

पहुँचना है मुझे चाँद पर
पर नया आसमान अभी बाक़ी है।
मेरी ज़िन्दगी की उड़ान अभी बाक़ी है।
मुझे पढ़ना, लिखना है ख़ूब जमकर।
देना इम्तेहान अभी बाक़ी है।
मेरी ज़िंदगी की उड़ान अभी बाक़ी है।
लोग कहते है लड़कियाँ कुछ नहीं कर पातीं।
बनाना अपनी पहचान अभी बाक़ी है।
मेरी ज़िन्दगी की उड़ान अभी बाक़ी है।
समाज के दरिंदे जो नोंच खाते है हमें।
पहुँचाना उन्हें शमशान अभी बाक़ी है।
मेरी ज़िंदगी की उड़ान अभी बाक़ी है।
पी.एस. अस्ती ने माना है बच्चियों को अपना ग़रूर।
ऐसी सोच के लिये पूरा हिन्दोस्तान अभी बाक़ी है।
मेरी ज़िंदगी की उड़ान अभी बाक़ी है।

रचयिता
आसिया फ़ारूक़ी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अस्ती,
नगर क्षेत्र-फतेहपुर,
जनपद-फतेहपुर।

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