रामचिरैया

विरवा पे बैठी वन की चिरैया,
डिमकी न मारेव भैय्या,
डिमकी न मारेव।
नहिं तौ, उड़ि जैहैं सगरी चिरैया।
छोटी-छोटी हैं बहुतै चिरैया।
     डिमकी न मारेव, भैय्या।।(१)
डाली पे बैठी है छोटी चिरैया,
बहुतै सुहावनि लागै गौरैया।
जंगल है जिनका होति बसेरा,
तिनका-तिनका बनावैं घर घेरा।
पड़ुखी कबूतर कोयल गौरैया।
      डिमकी न मारेव भैय्या।।(२)
गरमी मा होइगै प्यासी चिरैया,
भूखी है जानौ कुछु वा खवैया।
कोटर मा बच्चा दुइ हैं चिरैया,
भोजन- खोजन आई है मैय्या।
      डिमकी न मारेव भैय्या।।(३)
चिउँ चिउँ बोलै दाना का चूनै,
बिरन ऊपर उड़ि उड़ि घूमै।
आवै सबेरे घर की मुड़ेरिया।
नेरे से जाए उड़ि जाएँ चिरैया।।
      डिमकी न मारेव भैय्या।।(४)
तोता बुलबुल हरियल मुरैला,
मैना सयानी तीतर मटमैला।
सारस,बगुला औ रामचिरैया।
सगरी चिरैया वन केरी बसैया।
      डिमरी न मारेव भैय्या।।(५)
नहिं तौ,उड़ि जैहैं सगरी चिरैया।।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

Total Pageviews