मैं हिंदी हूँ
अपनों के शब्दों से चोटिल
उखड़ती सँभलती साँस हूँ,
हिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ,
जीवित रहने का प्रयास हूँ।
प्यार हूँ, अलंकार हूँ,
मै भावना रस छंद हूँ,
अंग्रेजी के समकक्ष खड़ी
मानव मस्तिष्क का द्वंद हूँ।
दिग्विजयी इस भारत की
मै प्रेरणा प्रयाण हूँ,
पर हो रही वाणी से वंचित
संघर्षरत एक प्राण हूँ।
भावनाओं से सुसज्जित
शब्दों का परिधान हूँ
मात्र एक भाषा नहीं
मै स्वयं में हिंदुस्तान हूँ।।
रचयिता
मीनाक्षी उनियाल,
रा0 प्रा0 वि0 बयेडा,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
उखड़ती सँभलती साँस हूँ,
हिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ,
जीवित रहने का प्रयास हूँ।
प्यार हूँ, अलंकार हूँ,
मै भावना रस छंद हूँ,
अंग्रेजी के समकक्ष खड़ी
मानव मस्तिष्क का द्वंद हूँ।
दिग्विजयी इस भारत की
मै प्रेरणा प्रयाण हूँ,
पर हो रही वाणी से वंचित
संघर्षरत एक प्राण हूँ।
भावनाओं से सुसज्जित
शब्दों का परिधान हूँ
मात्र एक भाषा नहीं
मै स्वयं में हिंदुस्तान हूँ।।
रचयिता
मीनाक्षी उनियाल,
रा0 प्रा0 वि0 बयेडा,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
Very nice 👍👍👍👍
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteSunder rachana
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति मीनाक्षी जी
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