प्लास्टिक मुक्त हो भारत

वह देखो माँ आज कबाड़ीवाला
फिर से आया है
कई तरह के रंग-बिरंगे प्लास्टिक
के डिब्बे लाया है

एक डिब्बा टॉफी का है
एक है डालडा का
एक डिब्बा छोटा-छोटा
लगता है लडडू का

प्लास्टिक के जूते भी हैं
प्लास्टिक की कुर्सी
प्लास्टिक के खिलौने भी हैं
प्लास्टिक के मेज

यही सही समय है माँ
निकालो सारा प्लास्टिक
घर के अंदर रह ना जाए
टुकड़ा भी एक प्लास्टिक

प्लास्टिक को फेंक दो बाहर
कर लो यह नेक काम
प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने में
जोड़ दो अपना नाम।

रचयिता
प्रशान्त कुमार मैन्दोलिया,
सहायक अध्यापक,
आदर्श राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैजरो, 
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढवाल,
उत्तराखण्ड।

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