क्यों बस एक ही दिन

क्यों बस एक ही दिन
हिन्दी का गुणगान किया जाए।
क्यों न हर दिन इसकी
महानता का बखान किया जाए।।

१) हम इसको कुछ इस तरह जानते हैं
 इसे अपनी माँ जैसा मानते हैं।
 क्यों न फिर इसको हर पल
  तख्तों-ताज दिया जाए।।
  क्यों.........

२) ये जो हमारी हिंदी है
भारत माँ के माथे की बिंदी है।
फिर क्यों न पूरी शिद्दत से
हिन्दी में काज किया जाए।।
क्यों........

रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।

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