शिक्षक

आदर्शों की मिसाल बनकर,
बाल जीवन सँवारता शिक्षक।
सदाबहार फूल-सा खिलकर,
महकता और महकाता शिक्षक।
नित नए प्रेरक आयाम लेकर,
हर पल भव्य बनता शिक्षक।
संचित ज्ञान का धन हमें देकर,
खुशियाँ खूब मनाता शिक्षक।
पाप व लालच से डरने की,
धर्मीय सीख सिखाता शिक्षक।
देश के लिए मर मिटने की,
बलिदानी राह दिखता शिक्षक।
प्रकाशपुंज का आधार बनकर,
कर्त्तव्य अपना निभाता शिक्षक।
प्रेम सरिता की बनकर धारा,
नैया पार लगता शिक्षक।

रचयिता
शिल्पी गोयल,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय निज़ामपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।

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