अंतरध्वनि…………एक बेटी की
नारी तू है जगदम्बा, अद्भुत प्रतिभाशाली।
कब तक सहेगी कष्ट, न भूल तू है शक्तिशाली।
हर क्षेत्र में धनवान है तू, नहीं है तुझमें कोई अभाव।
बढ़ आत्मविश्वास से आगे तू, दिखा दे आज प्रभाव।
वात्सल्य, करुणा, दया, क्षमा की तू है मूरत।
अंलकृत है तेरी इन सब गहनों से भोली सूरत।
मौका मिले हर बेटी को, मिले शिक्षा का समान अधिकार।
न हो भेदभाव किसी बेटी से, जो करें उन पर धिक्कार।
नित नये आयाम देश और दुनिया में स्थापित कर रही हैं बेटी।
फिर क्यों समाज के दुश्मनों की हिंसा का शिकार बने बेटी?
समाज कब जाग्रत होकर अपनी जिम्मेदारी उठाएगा?
बोझ नहीं, अभिमान है बेटी, कौन उन्हें समझाएगा?
पंख हौसले के गर मिल जाएँ बेटी को।
प्रतिभा अपनी दिखा सकती है सभी को।
मान लें सभी अगर बेटा बेटी को एक समान।
दोनों निभाएँगे जिम्मेदारी, बिना खोए आत्मसम्मान।
स्वर्णिम स्वप्न पूर्ण होगा, इस शपथ के साथ।
मिटायएँगे भेदभाव बेटा बेटी का मिलाकर हाथ।
समर्पित हैं मेरे शब्द, हर उस बेटी को।
अवसर न जिसे दिया गया, आगे बढ़ने को।
रचयिता
सुमन शर्मा,
इं. प्रधनाध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मांकरौल,
विकास खण्ड - इगलास,
जनपद - अलीगढ़।
कब तक सहेगी कष्ट, न भूल तू है शक्तिशाली।
हर क्षेत्र में धनवान है तू, नहीं है तुझमें कोई अभाव।
बढ़ आत्मविश्वास से आगे तू, दिखा दे आज प्रभाव।
वात्सल्य, करुणा, दया, क्षमा की तू है मूरत।
अंलकृत है तेरी इन सब गहनों से भोली सूरत।
मौका मिले हर बेटी को, मिले शिक्षा का समान अधिकार।
न हो भेदभाव किसी बेटी से, जो करें उन पर धिक्कार।
नित नये आयाम देश और दुनिया में स्थापित कर रही हैं बेटी।
फिर क्यों समाज के दुश्मनों की हिंसा का शिकार बने बेटी?
समाज कब जाग्रत होकर अपनी जिम्मेदारी उठाएगा?
बोझ नहीं, अभिमान है बेटी, कौन उन्हें समझाएगा?
पंख हौसले के गर मिल जाएँ बेटी को।
प्रतिभा अपनी दिखा सकती है सभी को।
मान लें सभी अगर बेटा बेटी को एक समान।
दोनों निभाएँगे जिम्मेदारी, बिना खोए आत्मसम्मान।
स्वर्णिम स्वप्न पूर्ण होगा, इस शपथ के साथ।
मिटायएँगे भेदभाव बेटा बेटी का मिलाकर हाथ।
समर्पित हैं मेरे शब्द, हर उस बेटी को।
अवसर न जिसे दिया गया, आगे बढ़ने को।
रचयिता
सुमन शर्मा,
इं. प्रधनाध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मांकरौल,
विकास खण्ड - इगलास,
जनपद - अलीगढ़।
Superb composition
ReplyDeleteसुपर
ReplyDeleteVery beautiful and encouraging lines
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