प्रिय भादों
भादों का महीना मन भाई,
मेंघा बोले मेघ अगिड़ाई।
बालक अपने टोली के संग,
खेले जल में नीर बहाई।
भादों का महीना मन भाई,
खेतो में बाजरा मूँग धान,
पुरा कर लेते अरमान।
देख फसल किसान हरषाते,
प्रतिदिन अपने खेत को जाते।।
भादों का महीना मन भाई।
बादल रिमीर-झिमीर वरसते,
वरस - वरस के वे गरजते।
बालक डर जाते बिजली से,
घुस घर में झाँकते खिड़की से।।
भादों का महीना मन भाई।
वरस-वरस जब बादल जाते,
बालक घर से बाहर आते।
बादल जब फिर पानी लाते,
बालक हर्षित हो चिल्लाते।
भादों का महीना मन भाई।
खत्म नीर जव हो जाता,
जलद जल फिर लाने जाता।
पंक भूमी पर वह कर जाता,
भादों का सदा याद दिलाता।।
भादों का महीना मन भाई।
होती वारिस रजनी दिनों में,
बूँदें गिरती क्षिति सिने में।
अंबु क्षिति पर है छिटक रहे,
मनु सुधा धरा पर बिखर रहे।।
भादों का महीना मन भाई।
शीतल होती प्यारी यह धरा,
जब जल से क्षिति, कोछि भरा।
चहुँ ओर दिखाती हरियाली,
मनु ईश्वर भाई हरियाली।।
भादों का महीना मन भाई।
अम्बु में अंबुज अगीड़ाते,
खुशहाल दिखाई पड़ते हैं।
हरि, हरि से प्रार्थना करते हैं,
हरि हरि को वरसाओ।
भादों का महीना मन भाई।
रचयिता
सन्तोष कुशवाहा,
विज्ञान शिक्षक,
कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय मनिहारी,
विकास क्षेत्र-मनिहारी,
जनपद-गाजीपुर।
एवं
ब्लॉक स्काउट मास्टर मनिहारी/ब्लॉक खेल प्रभारी मनिहारी गाजीपुर।
मेंघा बोले मेघ अगिड़ाई।
बालक अपने टोली के संग,
खेले जल में नीर बहाई।
भादों का महीना मन भाई,
खेतो में बाजरा मूँग धान,
पुरा कर लेते अरमान।
देख फसल किसान हरषाते,
प्रतिदिन अपने खेत को जाते।।
भादों का महीना मन भाई।
बादल रिमीर-झिमीर वरसते,
वरस - वरस के वे गरजते।
बालक डर जाते बिजली से,
घुस घर में झाँकते खिड़की से।।
भादों का महीना मन भाई।
वरस-वरस जब बादल जाते,
बालक घर से बाहर आते।
बादल जब फिर पानी लाते,
बालक हर्षित हो चिल्लाते।
भादों का महीना मन भाई।
खत्म नीर जव हो जाता,
जलद जल फिर लाने जाता।
पंक भूमी पर वह कर जाता,
भादों का सदा याद दिलाता।।
भादों का महीना मन भाई।
होती वारिस रजनी दिनों में,
बूँदें गिरती क्षिति सिने में।
अंबु क्षिति पर है छिटक रहे,
मनु सुधा धरा पर बिखर रहे।।
भादों का महीना मन भाई।
शीतल होती प्यारी यह धरा,
जब जल से क्षिति, कोछि भरा।
चहुँ ओर दिखाती हरियाली,
मनु ईश्वर भाई हरियाली।।
भादों का महीना मन भाई।
अम्बु में अंबुज अगीड़ाते,
खुशहाल दिखाई पड़ते हैं।
हरि, हरि से प्रार्थना करते हैं,
हरि हरि को वरसाओ।
भादों का महीना मन भाई।
रचयिता
सन्तोष कुशवाहा,
विज्ञान शिक्षक,
कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय मनिहारी,
विकास क्षेत्र-मनिहारी,
जनपद-गाजीपुर।
एवं
ब्लॉक स्काउट मास्टर मनिहारी/ब्लॉक खेल प्रभारी मनिहारी गाजीपुर।
Comments
Post a Comment