मेरे गुरुवर

मेरे गुरुवर मेरे अनमोल रतन

स्वंय  तपकर  हमें  सँवारा
आत्मविश्वास दे हमें  उभारा,
समस्या हो कितनी भी विकल
गुरु    संग   सबका  है   हल।

मेरे गुरुवर मेरे अनमोल रतन

जिज्ञासा  सदा  बनी  रहे
कल्पनाशीलता  प्रबल  रहे,
ज्ञान  को प्रत्यक्ष   से  जोड़
आगे  बढ़ो  तुम  हर  मोड़।

मेरे गुरुवर मेरे अनमोल रतन

   नियमित       अध्ययन
व      समय       प्रबंधन,
स्वंय  को  रखो  सदा अद्यतन
स्मरण  रखूँ  मैं    मेरे    वंदन।

मेरे गुरुवर मेरे अनमोल रतन

आप जितना मैं भी दे पाऊँ
इन  नन्हें  मासूमों को  सँवारुँ,
देश   का  मैं   मान   बढ़ाऊँ
आशिष सदा जो आप का पाऊँ।

मेरे गुरुवर मेरे अनमोल रतन

रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।

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