मैं शिक्षक हूँ

मैं शिक्षक हूँ

मैं शिक्षक हूँ
मानवता की भावना जीवन में भरता हूँ मैं',
ज्ञान की राह दिखा अज्ञानता को हरता हूँ मैं।
बुराईयों को दूर कर सच्चाई की राह दिखाता हूँ मैं,
भटकते को राह और सदभाव सिखाता हूँ मैं।
मैं शिक्षक हूँ .....

हर परिस्थितियों में खुश रहना सिखाता हूँ मैं,
कठिन चुनौतियों से लड़ना, सही मार्ग दिखाता हूँ मैं।
विद्या का धन जीवन में बाँटता हूँ मैं।
जीवन को सार्थक बनाने का मंत्र सिखाता हूँ मैं।
मैं शिक्षक हूँ......

कोरे कागज सा दिल इनका,
उस पर अमित ज्ञान भर देता हूँ मैं।
कभी गुरू की भूमिका में ज्ञान का प्रकाश भरता हूँ मैं,
मित्र बनकर कभी उनके सपनों की दुनिया में खो जाता हूँ मैं।
मैं शिक्षक हूँ.........

सबको एकता का पाठ पढ़ाता हूँ मैं,
जाति-पाति के बंधन से दूर भारतीय होने का गर्व दिलाता हूँ मैं।
मैं भी तो मानव हूँ मानवता भरी नजरों से देखो,
हर जीवन का आधार स्तम्भ कहलाता हूँ मैं।
मैं शिक्षक हूँ ................

रचयिता
बिधु सिंह, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी, 
विकास खण्ड-बिसरख,               
जनपद-गौतमबुद्धनगर।

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