फल परिचय
आम
मीठा-मीठा, पीला-पीला,
मैं हूँ सुंदर आम रसीला,
गर्मी के मौसम में आता,
बच्चे-बूढ़े सबको भाता,
कच्चा भी प्रयोग में आता,
दुश्मन के दाँत खट्टे कर जाता,
फलों का राजा कहलाता,
गुठली के भी दाम दिलाता।।
केला
बिना बीज का फल हूँ निराला,
पक कर होता हूँ पीला-पीला,
सब कहते हैं मुझको केला,
डाली पर न कभी अकेला,
सभी जगह पाया मैं जाता,
सब्जी के भी काम मैं आता,
बन्दर को हूँ खूब मैं भाता,
दुबला खा मोटा हो जाता।।
अंगूर
गोल-गोल और छोटा-छोटा,
कुछ-कुछ मीठा, कूछ-कुछ खट्टा,
हरा, रसीला, लता में फलता,
मुँह में रखते तुरंत है गलता,
स्वाद सभी को अच्छा लगता,
जो पा जाए अंगूर मीठा कहता,
जो न पाए, अंगूर खट्टा कहता,
रह जाता है हाथ वो मलता।।
नारंगी
रंग रंगीला नारंगी है,
नाम भी मेरा नारंगी है,
संतरा भी मैं कहलाता हूँ,
छोटे-बड़े सबको भाता हूँ,
रस मुझमें खट्टा-मीठा है,
भण्डार विटामिन-सी का है।
भण्डार विटामिन सी का हूँ।
रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।
मीठा-मीठा, पीला-पीला,
मैं हूँ सुंदर आम रसीला,
गर्मी के मौसम में आता,
बच्चे-बूढ़े सबको भाता,
कच्चा भी प्रयोग में आता,
दुश्मन के दाँत खट्टे कर जाता,
फलों का राजा कहलाता,
गुठली के भी दाम दिलाता।।
केला
बिना बीज का फल हूँ निराला,
पक कर होता हूँ पीला-पीला,
सब कहते हैं मुझको केला,
डाली पर न कभी अकेला,
सभी जगह पाया मैं जाता,
सब्जी के भी काम मैं आता,
बन्दर को हूँ खूब मैं भाता,
दुबला खा मोटा हो जाता।।
अंगूर
गोल-गोल और छोटा-छोटा,
कुछ-कुछ मीठा, कूछ-कुछ खट्टा,
हरा, रसीला, लता में फलता,
मुँह में रखते तुरंत है गलता,
स्वाद सभी को अच्छा लगता,
जो पा जाए अंगूर मीठा कहता,
जो न पाए, अंगूर खट्टा कहता,
रह जाता है हाथ वो मलता।।
नारंगी
रंग रंगीला नारंगी है,
नाम भी मेरा नारंगी है,
संतरा भी मैं कहलाता हूँ,
छोटे-बड़े सबको भाता हूँ,
रस मुझमें खट्टा-मीठा है,
भण्डार विटामिन-सी का है।
भण्डार विटामिन सी का हूँ।
रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।
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