मलेथा की गूल

इस जमाने में कैसे-कैसे
त्यागी तपस्वी दानवीर हुए हैं,
खुद के लिए ना किया कुछ भी उन्होंने
करके उपकार वो महावीर हुए हैं,

गाँव मलेथा की सुनिए कहानी
आज सुनाता हूँ अपनी जुबानी
माधो सिंह नाम का एक किसान रहा
खेती किसानी से वो परेशान रहा

पानी की समस्या से गाँव परेशान था
लेकिन माधो के मन में कुछ और था
अलकनंदा चन्द्रभागा दोनों ओर नदियाँ
फिर भी पानी को तरसें खेतियाँ

अपने निश्चय को माधो पत्नी से बताया
पत्नी को पूरी बात वह समझाया
गर मैं काट दूँ बीच से पहाड़
खेत में आ जाए पानी अपार

पत्नी बोली मैं भी साथ हूँ तुम्हारे
चल पड़ा माधो सिंह काज सँवारे
छेनी हथौड़ी का वार करने लगा
धीरे-धीरे लोगों का विश्वास जगने लगा

आ गए सब मदद को भाई
मिल बाँट कर दिया काम बँटाई
बन गयी सुरंग आ गया पानी
धन्य हो माधो ऐसी तुम्हारी कहानी

नमन करें ऐसे वीर महावीर को
नमन करें ऐसे धरतीसुत धीर को
नमन-नमन तुझे शत-शत नमन है
दीपक तेरे चरण में वंदन है।

रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700

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