निज भाषा हिंदी

विचारों की जो अभिव्यक्ति,
निज भाषा में कर जाते हैं।
अंग्रेजी में व्यक्त तो कर लेते,
पर भाव नहीं आ पाते हैं।

   हिंदी हमारी मातृभाषा है।
    हिंदी नहीं हैं भाषा मात्र।
   हिंदी हो "अनिवार्य" सब जगह,
   अंग्रेजी हो केवल "विषय मात्र"।

अंग्रेज़ आज विकसित की,
श्रेणी में कभी ना आ पाते।
जो हावी कर लेते अन्य भाषा,
तो कभी तरक्की ना कर पाते।

       भारत, छोड़कर अन्य भाषा,
       जब निज भाषा अपनाएगा।
       तब दुनिया का कोई भी देश,
       अपने आगे ना टिक पाएगा।

रचयिता
रुचि सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय शंकरपुर अम्बेडकर,
विकास खण्ड-फरीदपुर, 
जनपद-बरेली।

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