बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
इस रीत को आगे बढ़ाओ
रहे न कोई बेटी निरक्षर
अक्षर - अक्षर ज्ञान कराओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
आत्मनिर्भर जब बेटी बन जाएगी
किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएगी
अपनी पहचान वह स्वयं बनाएगी
खिलौने, गुड़िया संग किताब दिलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
खुले आकाश में उड़ जाने दो
उसे भी अपने पंख फ़ैलाने दो
न बाँधो कोई बंधन
सबसे निवेदन है कर वंदन
अपने मन को यह बात समझाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
           
रचनाकार
रुखसाना बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय अहरौरा,
विकास खण्ड-जमालपुर,
जनपद-मीरजापुर।

Comments

  1. बहुत बढ़िया लाजवाब सुन्दर रचना

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  2. Bahut hi sunder rachana hai ye beti

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