काग और श्राद्ध पक्ष
आकर बैठा काग पेड़ पर
हर घर आँगन तकता है,
श्राद्ध पक्ष है शुरू हो चुका
ढूँढे कहाँ पितृ भोज गपकता है।
अब सब उसको पास बुलाते,
कद्दू, पूरी, खीर खिलाते,
पत्थर खाने वाला काग अब
पकवान खा-खाकर थकता है।
१६ दिवस हैं श्राद्ध मानते,
पंडित से पूजा करवाते,
ताकि चढ़ा भोग पितृ तक पहुँचे
एक भोग काग को चढ़ता है।
सेवा सबकी सफल हो जाए,
पितृ भक्ति का फल मिल जाए,
आशीष पितृ का मिले सभी को,
काग तभी हर घर भोग चखता है।
रचयिता
रवि बिष्ट,
प्रधानाध्यापक,
रा0 प्रा0 वि0 थापला वल्ला,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
हर घर आँगन तकता है,
श्राद्ध पक्ष है शुरू हो चुका
ढूँढे कहाँ पितृ भोज गपकता है।
अब सब उसको पास बुलाते,
कद्दू, पूरी, खीर खिलाते,
पत्थर खाने वाला काग अब
पकवान खा-खाकर थकता है।
१६ दिवस हैं श्राद्ध मानते,
पंडित से पूजा करवाते,
ताकि चढ़ा भोग पितृ तक पहुँचे
एक भोग काग को चढ़ता है।
सेवा सबकी सफल हो जाए,
पितृ भक्ति का फल मिल जाए,
आशीष पितृ का मिले सभी को,
काग तभी हर घर भोग चखता है।
रचयिता
रवि बिष्ट,
प्रधानाध्यापक,
रा0 प्रा0 वि0 थापला वल्ला,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
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