स्थानीय पेशे और व्यवसाय
कक्षा 4 के हमारा परिवेश के पाठ्यक्रम
स्थानीय पेशे और व्यवसाय काव्य रूप में
बढ़ई
छोटी-छोटी लकड़ी से फर्नीचर बनाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
कुर्सी मेज बनाते दरवाजे लगाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
आम, शीशम और बबूल,
सागौन, देवदार को प्रयोग में लाते।
छोटी-छोटी लकड़ी से फर्नीचर बनाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
कुम्हार
मिट्टी का जो बर्तन बनाए कुम्हार है,
मिट्टी का बर्तन बनाना उसका व्यवसाय है।
अब हम बताते हैं कैसे वो बनाता,
मिट्टी को गूँथकर चॉक पर लगता।
जब बन जाए बर्तन, धीमी आँच पर पकाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों कुम्हार कहलाता।
दर्जी
बड़े-बड़े कपड़े को जो सिलता जाए,
यही मेरे प्यारे बच्चों दर्जी कहलाए।
कैंची से काटे मशीन से बनाए,
सुई से धागे से जो बटन लगाए।
ठीक ठीक नाप के जो कपड़े बनाए।
यही मेरे प्यारे बच्चों दर्जी कहलाए।
किसान
खेत में जो काम करें वो है किसान,
इस देश में है सबसे महान।
करके मेहनत अन्न उगाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों किसान कहलाता।
लुहार
लोहे का सामान बनाये लुहार,
छेनी और हथौड़ी हैं इसके औजार।
लाल करे लोहा पीट-पीट बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों लुहार कहलाता।
राजगीर
घर जो बनाये वो है राजगीर,
घर उसके बनते हैं जिसकी तकदीर।
दिन भर खड़े होकर जो घर बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों राजगीर कहलाता।
डॉक्टर
जब भी हमको आता बुखार,
आला लेके नापे वो है डॉक्टर।
सुबह दोपहर शाम दवा खिलाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों डॉक्टर कहलाता।
मोची
जब भी हमारे जूते चप्पल टूट जाएँ,
सुई धागे से मोची ही बनाये।
फिर से पहनने लायक जो है बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों मोची कहलाता।
सफाई कर्मी
घर-घर जाकर जो कूड़ा उठाये,
प्यारे बच्चों वही सफाई कर्मी कहलाये।
कूड़े को उठाकर जो जगह साफ है बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों सफाई कर्मी कहलाता।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
स्थानीय पेशे और व्यवसाय काव्य रूप में
बढ़ई
छोटी-छोटी लकड़ी से फर्नीचर बनाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
कुर्सी मेज बनाते दरवाजे लगाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
आम, शीशम और बबूल,
सागौन, देवदार को प्रयोग में लाते।
छोटी-छोटी लकड़ी से फर्नीचर बनाते,
यही मेरे प्यारे बच्चों बढ़ई कहलाते।
कुम्हार
मिट्टी का जो बर्तन बनाए कुम्हार है,
मिट्टी का बर्तन बनाना उसका व्यवसाय है।
अब हम बताते हैं कैसे वो बनाता,
मिट्टी को गूँथकर चॉक पर लगता।
जब बन जाए बर्तन, धीमी आँच पर पकाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों कुम्हार कहलाता।
दर्जी
बड़े-बड़े कपड़े को जो सिलता जाए,
यही मेरे प्यारे बच्चों दर्जी कहलाए।
कैंची से काटे मशीन से बनाए,
सुई से धागे से जो बटन लगाए।
ठीक ठीक नाप के जो कपड़े बनाए।
यही मेरे प्यारे बच्चों दर्जी कहलाए।
किसान
खेत में जो काम करें वो है किसान,
इस देश में है सबसे महान।
करके मेहनत अन्न उगाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों किसान कहलाता।
लुहार
लोहे का सामान बनाये लुहार,
छेनी और हथौड़ी हैं इसके औजार।
लाल करे लोहा पीट-पीट बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों लुहार कहलाता।
राजगीर
घर जो बनाये वो है राजगीर,
घर उसके बनते हैं जिसकी तकदीर।
दिन भर खड़े होकर जो घर बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों राजगीर कहलाता।
डॉक्टर
जब भी हमको आता बुखार,
आला लेके नापे वो है डॉक्टर।
सुबह दोपहर शाम दवा खिलाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों डॉक्टर कहलाता।
मोची
जब भी हमारे जूते चप्पल टूट जाएँ,
सुई धागे से मोची ही बनाये।
फिर से पहनने लायक जो है बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों मोची कहलाता।
सफाई कर्मी
घर-घर जाकर जो कूड़ा उठाये,
प्यारे बच्चों वही सफाई कर्मी कहलाये।
कूड़े को उठाकर जो जगह साफ है बनाता,
यही मेरे प्यारे बच्चों सफाई कर्मी कहलाता।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
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