हिंदी हूँ मैं

हिंदी हूँ मैं, हिंदी,
जन जन की ज़ुबानी हूँ।
संस्कृत की बेटी,
एक लेखक की कहानी हूँ।।
हँसने की भाषा में ही,
रोने की आवाज़ हूँ।
गाने की ध्वनि में सुनो,
बजता मै साज हूँ।।
हर बोली से देखो,
मेरी ही तो संधि है।
काव्य रचा मैंने,
दी तुकबंदी है।।
संयुक्त राज्य में,
किया भाषा को सफल।
हिंदी में गूँजा था,
जब अपना अटल।।
फेसबुक, व्हाट्सएप,
सबने अपना लिया।
अस्तित्व देखो मैंने,
सबको दिखा दिया।।
हिंदी हूँ मैं, हिंदी,
जन जन की ज़ुबानी हूँ।
संस्कृत की बेटी,
एक लेखक की कहानी हूँ।।

रचयिता
रश्मि मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मरुआन,
विकास खण्ड-बाबा बेलखरनाथ धाम,
जनपद-प्रतापगढ़।

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