हे हिन्दी तुम्हें शत बार नमन

जिस शब्द ने सबसे पहले
कानों में रस घोल दिया
माँ की भाषा सी ममता है
संक्षिप्त में सब कुछ बोल दिया
करें तुम्हें सादर श्रवण
हे 'हिन्दी' तुम्हे शत बार नमन
तुतलाहट की पहली बोली
आज भरी भावों की झोली
सुख में दुख में है हमजोली
संस्कृति से जिसकी समता है
अभिव्यक्ति का सबल साधन
हे 'हिन्दी' तुम्हे शत बार नमन
हम जाने कितने भाषाएँ
जीवन में लिखते पढ़ते हैं
सम्मान सभी का करते हैं
जीवन मे आगे बढ़ते हैं
पहचान देने  की क्षमता है
भाषाओं का सिरमौर सघन
हे हिन्दी तुम्हें शत बार नमन

रचयिता
शीला सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विशेश्वरगंज,
नगर क्षेत्र-गाजीपुर,
जनपद-गाजीपुर।

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