विक्रम

मिल गया "विक्रम" चाँद पर,
पाक! बता क्या बोलेगा?
तेरी काली करतूतों को,
अब भारत विश्व - पटल पर खोलेगा।

टूटा है, सम्पर्क तो क्या,
संकल्प कभी न टूटेगा।
इसरो का इतिहास तू पढ़ले,
फिर तू, न मुख से बोलेगा।

औकात हमें बताने वाले,
खुद अपनी औकात देख ले।
घूमले तू दुनिया सारी,
पर एक, "के. सिवान" देख ले।

नीच, धूर्त, मक्कार पाक तू,
घुटने पर अब आएगा।
तू कश्मीर की बात न कर,
अब पी. ओ. के. भी खोएगा।
तू कश्मीर की बात न कर,
अब पी. ओ. के. भी खोएगा।
           
रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, 
विकास खण्ड-लोधा, 
जनपद-अलीगढ़।

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