हम शिक्षक
हम शिक्षक हम सुगमकर्ता,
हम पत्थर सोना कर देंगे।
बुझा हुआ एक दीप जलाकर,
सौ दीप प्रज्ज्वलित कर देंगे।
हम नन्हें बच्चों के जीवन में,
चहुँओर उजाला भर देंगे।
अधरों की दबी मुस्कानों को,
खिलखिलाहट में बदल देंगे।
जीवन के कोरे कागज पर,
रंगों से इबारत लिख देंगे।
अक्षर-अक्षर जोड़कर,
शब्दों से कहानी लिख देंगे।
नीरस सी कहानी को फिर,
काव्य सा सरस कर देंगे।
मुरझाया हुआ बेरंग उपवन,
इंद्रधनुषी कर देंगे।
पथरीली राहों को भी,
गुलाब सा कोमल कर देंगे।
बिन नीर की सरिता को,
नीर का समंदर कर देंगे।
सूखे हुए खेतों को भी,
हरियाली से हम भर देंगे।
चाँद पर हम पहुँचे हैं,
मंगल को हम घर कर देंगे।
हम शिक्षक कलम की ताक़त से,
भारत की कहानी गढ़ देंगे।
विश्वास बस कर के देखो,
हर बच्चा कलाम हम कर देंगे।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।
हम पत्थर सोना कर देंगे।
बुझा हुआ एक दीप जलाकर,
सौ दीप प्रज्ज्वलित कर देंगे।
हम नन्हें बच्चों के जीवन में,
चहुँओर उजाला भर देंगे।
अधरों की दबी मुस्कानों को,
खिलखिलाहट में बदल देंगे।
जीवन के कोरे कागज पर,
रंगों से इबारत लिख देंगे।
अक्षर-अक्षर जोड़कर,
शब्दों से कहानी लिख देंगे।
नीरस सी कहानी को फिर,
काव्य सा सरस कर देंगे।
मुरझाया हुआ बेरंग उपवन,
इंद्रधनुषी कर देंगे।
पथरीली राहों को भी,
गुलाब सा कोमल कर देंगे।
बिन नीर की सरिता को,
नीर का समंदर कर देंगे।
सूखे हुए खेतों को भी,
हरियाली से हम भर देंगे।
चाँद पर हम पहुँचे हैं,
मंगल को हम घर कर देंगे।
हम शिक्षक कलम की ताक़त से,
भारत की कहानी गढ़ देंगे।
विश्वास बस कर के देखो,
हर बच्चा कलाम हम कर देंगे।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।
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