हिन्दी
हिन्दी भारत की शक्ति है,
इसमें ही सबकी भक्ति है,
जिस्म अंग्रेजी दिखती है,
पर रूह में हिन्दी बसती है।
हिन्दी का जब तक साथ होता,
अपना ऊँचा आत्मविश्वास होता,
सच है जब भी हिंदुस्तानी सोता,
सपने भी हिन्दी में ही संजोता।
हम कितने लीन हैं हिन्दी में,
सोते भी हैं हम हिन्दी में,
रोते भी हैं हम हिन्दी में,
प्रेम भी करते हिन्दी में,
गुस्सा भी करते हिन्दी में।
हिन्दी की क्या गुणगान करूँ?
किन शब्दों में मैं बखान करूँ?
भाषा में वैसी है हिन्दी,
जैसे दुल्हन की है बिंदी!
लाखों साज श्रृंगार करे,
पर सुंदरता से रहे परे,
ऐसे ही कुछ भाव भरे,
जो हिन्दी से रहे परे।
आओ मिलकर हम प्रण करें,
हिन्दी को आगे हम करें,
हिन्दी का सदा सम्मान करें,
हिन्दी दिवस का ही ना इंतजार करें!
रचयिता
पूजा यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उदयपुर,
विकास खण्ड-हरहुआ,
जनपद-वाराणसी।
इसमें ही सबकी भक्ति है,
जिस्म अंग्रेजी दिखती है,
पर रूह में हिन्दी बसती है।
हिन्दी का जब तक साथ होता,
अपना ऊँचा आत्मविश्वास होता,
सच है जब भी हिंदुस्तानी सोता,
सपने भी हिन्दी में ही संजोता।
हम कितने लीन हैं हिन्दी में,
सोते भी हैं हम हिन्दी में,
रोते भी हैं हम हिन्दी में,
प्रेम भी करते हिन्दी में,
गुस्सा भी करते हिन्दी में।
हिन्दी की क्या गुणगान करूँ?
किन शब्दों में मैं बखान करूँ?
भाषा में वैसी है हिन्दी,
जैसे दुल्हन की है बिंदी!
लाखों साज श्रृंगार करे,
पर सुंदरता से रहे परे,
ऐसे ही कुछ भाव भरे,
जो हिन्दी से रहे परे।
आओ मिलकर हम प्रण करें,
हिन्दी को आगे हम करें,
हिन्दी का सदा सम्मान करें,
हिन्दी दिवस का ही ना इंतजार करें!
रचयिता
पूजा यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उदयपुर,
विकास खण्ड-हरहुआ,
जनपद-वाराणसी।
दुनिया में चौथे स्थान पर आसीन हमारी हिन्दी की शान में आपकी काव्य रचना से हमारी भाषा की पूंजीमें समृद्धि लाने में मदद मिलेगी ।
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