वर दे माँ, मुझे वर दे

  सरस्वती वन्दना

वर दे माँ, मुझे वर दे
   
हे सुरवन्दिता, हे स्वरदात्री
ऐसा मुझको वर दे
शब्दों के मोती चुन लाऊँ
ऐसा सागर भर दे।
वर दे माँ, मुझे वर दे। 

हे ज्ञानदायिनी, शास्त्ररुपिणी
ऐसा मुझको वर दे
प्रज्ञानता का दीप बनूँ मैं
अज्ञानता का तम तू हर ले।
वर दे माँ, मुझे वर दे।

हे वीणावादिनी, हंसवाहिनी
ऐसा मुझको वर दे
उर में ऐसा राग भरूँ मैं
मुझको ऐसा स्वर दे।
गीतों का श्रृंगार करुँ मैं
अलंकार का तू वर दे।
वर दे माँ, मुझे वर दे।

हे श्वेताम्बरा, करुणाप्रदायिनी
ऐसा मुझको वर दे
प्रेम बनूँ मैं, दया बनूँ मैं
करुणा का वर दे।
वर दे माँ, मुझे वर दे।

हे माँ शारदे, हे माँ भारती
ऐसा मुझको वर दे
तेरे चरणों के रज-कण को शीश नवाऊँ
श्रद्धा का तू वर दे।
वर दे माँ, मुझे वर दे।

रचयिता
शालिनी श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय दवोपुर,
विकास खण्ड-देवकली, 
जनपद-गाज़ीपुर।

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