हिम्मत
भरा है अथाह जल
फिर भी नाव तैरती है जल में
नहीं डर डूबने का
छोड़ती है सबको गंतव्य तक।
दो पतवारों का है खेल
रहती है जो नाविक के हाथ
मजे लेता नाव की सैर का
लेकर हाथों में पतवार।
इतराती, इठलाती
सैर कराती सबको
नहीं भय तूफानों का
न ही डर डूबने का।
मीना कहती ओ मेरे हमजोली
रहना है तुमको
इसी कठिन डगर में
टकराना है मुश्किलों से।
नहीं घबराना
नहीं हारना है हिम्मत
जीतना है तुमको
लेकर साथ हिम्मत।
नहीं चलती नाव कभी जमीं पर
है पानी अथाह
फिर भी नाव तैरती है
पानी पर।
रहना है तुम्हें, इसी जमीं पर
होंगी मुश्किलें पथ में
जीतना है, हर मुश्किल
हँसकर।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
फिर भी नाव तैरती है जल में
नहीं डर डूबने का
छोड़ती है सबको गंतव्य तक।
दो पतवारों का है खेल
रहती है जो नाविक के हाथ
मजे लेता नाव की सैर का
लेकर हाथों में पतवार।
इतराती, इठलाती
सैर कराती सबको
नहीं भय तूफानों का
न ही डर डूबने का।
मीना कहती ओ मेरे हमजोली
रहना है तुमको
इसी कठिन डगर में
टकराना है मुश्किलों से।
नहीं घबराना
नहीं हारना है हिम्मत
जीतना है तुमको
लेकर साथ हिम्मत।
नहीं चलती नाव कभी जमीं पर
है पानी अथाह
फिर भी नाव तैरती है
पानी पर।
रहना है तुम्हें, इसी जमीं पर
होंगी मुश्किलें पथ में
जीतना है, हर मुश्किल
हँसकर।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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