दृढ़ संकल्प
किस कदर हम कहें यह जमाना है बदला,
बदली जमाने की तकरीर है।
बिन किए कर्म ना सुनों भाईयों,
इस जमाने में बदली न शमशीर है।
रोटी की भूख से रोए कहाँ कब कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
धारा 370 हटी डरा पाकिस्तान,
कितनें गिरें जिसने बेचा स्वाभिमान,
खुशी के आँसुओं से हर आँख रोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
अभिनन्दन ने अभिनन्दन करवाया,
देश ने बैरी को घुटनों पर गिराया,
स्वागत में देश की जनता न सोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
हमने चन्द्रयान चन्द्र पर भेजावाया,
इसरो के सपूतों ने नाम कमाया,
बिन संकल्प के न काज होई कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
गिरी अर्थव्यवस्था बढ़ती जाए महँगाई,
बेरोजगारी पर मची हाय रे त्राहि-त्राहि,
रोजगार क्षेत्र में भी अब छँटनी होई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
खुद को बना लो सक्षम और स्वाभिमानी,
कर गुजरो उतना जो लो ठानी,
नही किसी का दीपक रखवाला कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
बदली जमाने की तकरीर है।
बिन किए कर्म ना सुनों भाईयों,
इस जमाने में बदली न शमशीर है।
रोटी की भूख से रोए कहाँ कब कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
धारा 370 हटी डरा पाकिस्तान,
कितनें गिरें जिसने बेचा स्वाभिमान,
खुशी के आँसुओं से हर आँख रोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
अभिनन्दन ने अभिनन्दन करवाया,
देश ने बैरी को घुटनों पर गिराया,
स्वागत में देश की जनता न सोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
हमने चन्द्रयान चन्द्र पर भेजावाया,
इसरो के सपूतों ने नाम कमाया,
बिन संकल्प के न काज होई कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
गिरी अर्थव्यवस्था बढ़ती जाए महँगाई,
बेरोजगारी पर मची हाय रे त्राहि-त्राहि,
रोजगार क्षेत्र में भी अब छँटनी होई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
खुद को बना लो सक्षम और स्वाभिमानी,
कर गुजरो उतना जो लो ठानी,
नही किसी का दीपक रखवाला कोई,
लोग कहते हैं अब विकास होई।
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700
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