शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पर दे ये उपहार
हो जाए ज्ञान हमारा साकार
शिक्षक होने के नाते मेरा यह फर्ज है।
बच्चों के हित में दो शब्द अर्ज हैं।
जागो जल्दी अब मत सोओ।
इतना क़ीमती समय न खोओ।।
बड़ों की इज्ज़त हर दिन करना।
छोटों से तुम मिलकर रहना।।
संकट में भी तुम न घबराना।
दुःख में भी तुम मुस्काना।
शिक्षक दिवस पर दे ये उपहार।
हो जाए ज्ञान हमारा साकार।।
समय से तुम रोज़ विद्यालय आना।
पढ़ाई में तुम मन लगाना
हर पल ये बात याद रखना।
गलत कामों में न वक्त बर्बाद करना।।
अपना उज्ज्वल भविष्य बनाना।
माँ बाप का सपना सजाना।।
शिक्षक दिवस पर दे ये उपहार
हो जाए ज्ञान हमारा साकार।।
रचयिता
सुमन कुशवाहा,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भगवानपुर,
विकास खण्ड-नेवादा,
जनपद-कौशाम्बी।
हो जाए ज्ञान हमारा साकार
शिक्षक होने के नाते मेरा यह फर्ज है।
बच्चों के हित में दो शब्द अर्ज हैं।
जागो जल्दी अब मत सोओ।
इतना क़ीमती समय न खोओ।।
बड़ों की इज्ज़त हर दिन करना।
छोटों से तुम मिलकर रहना।।
संकट में भी तुम न घबराना।
दुःख में भी तुम मुस्काना।
शिक्षक दिवस पर दे ये उपहार।
हो जाए ज्ञान हमारा साकार।।
समय से तुम रोज़ विद्यालय आना।
पढ़ाई में तुम मन लगाना
हर पल ये बात याद रखना।
गलत कामों में न वक्त बर्बाद करना।।
अपना उज्ज्वल भविष्य बनाना।
माँ बाप का सपना सजाना।।
शिक्षक दिवस पर दे ये उपहार
हो जाए ज्ञान हमारा साकार।।
रचयिता
सुमन कुशवाहा,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भगवानपुर,
विकास खण्ड-नेवादा,
जनपद-कौशाम्बी।
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