हाथ धोना बनाम जल संकट
हाथ धुलते-धुलते कहीं हम पानी से ही
न हाथ धो बैठें
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कालान्तर में गिरता हुआ भू-गर्भ
जलस्तर, दूषित और विषपान कराती नदियाँ, सिकुड़ते
ग्लेशियर वैश्विक चिंतन के विषय हैं। यह
विषय अब किसी देश विशेष के लिए नहीं प्रत्युत
समग्र जीवमण्डल के लिए यत्र-तत्र-सर्वत्र अभिव्यक्त होता आ रहा है। सचाई तो
यह है कि मनुष्य जहाँ भी अपनी भोगवादी जीवन शैली का हस्तक्षेप करता आ रहा है, वहाँ-वहाँ विष बीज
का वपन हो जा रहा है। प्रकृति (जल-थल-नभ) मनुष्य की बर्बरता से इतनी तंग आ चुकी है
कि वह अब विकराल रूप-रंग,
आकार-प्रकार
में अपना भयावह रूप दिखाने के लिए बाध्य और विवश है। हम आप प्रत्यक्षदर्शी हैं कि
प्रकृति समय-समय पर भूकंप, भूस्खलन, गिरता भूगर्भ
जलस्तर, ओज़ोन परत
क्षरण, सूखा
इत्यादि रूप में मनुष्य की क्रूरता के लिए उन्हें अविस्मरणीय सीख सीखने के लिए
कटिबद्ध है।
समग्र विश्व बूँद-बूँद जल संकट से ऐसे ही जूझ रहा था; इधर संक्रमण ने हर
दो घण्टे में हाथ धुलने के लिए विवश कर, घूसे पर लात मारने का काम किया।
आप कल्पना करें यदि एक व्यक्ति एक दिन में 8 बार हाथ धुलता है जिसमें एक समय मे 4 लीटर जल लगता है तो पूरे दिन सिर्फ हाथ धुलने में एक व्यक्ति को 32 लीटर जल लगेगा। यदि परिवार में औसतन 5 लोग हैं तो एक परिवार में सिर्फ हाथ धुलने में 160 लीटर जल का अतिरिक्त प्रयोग किया जाएगा। हमने आपने अज्ञानवश हाथ धुलने के लिए पेयजल (मीठाजल) को ही माध्यम बनाया है जिसके कारण जल संकट कालांतर में एक पर्वताकार रूप ले चुका है। कहीं ऐसा न हो कि हम हाथ धुलते-धुलते पानी से ही न हाथ धो बैठें।
हमें ध्यान करना होगा कि हमारे
चारों ओर जल-थल-नभ जो प्रकृति ने हमें
विरासत में दिया है; उसमें जल
एक महत्त्वपूर्ण रासायन है। जिसे हम किसी भी प्रयोशाला में नहीं बना सकते हैं। अतः
जल की सर्वउपलब्धता बनी रहे इसलिए इसका संरक्षण हम सबका दायित्व है।
इस दौरान निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर हम जल बचा सकते हैं--
1- हाथ धुलने के लिए अपेय जल का
प्रयोग करें।
2- हाथ धुलते समय हाथ में साबुन, शैम्पू लगाने के
बाद टोंटी बन्द कर दें, साबुनीकरण
होने के बाद टोंटी खोलकर अच्छी तरह हाथ धुल लें।
3-टोंटी को आधी गति में ही खोल कर जल
का प्रयोग करें; ऐसा करने
पर जल, साबुन या
शैम्पू कम लगेगा। आपके कपड़े भी गन्दे नहीं होंगे।
4- हाथ धुलने के बाद पानी को सोखपिट
में एकत्र करना न भूलें।
5-सामाजिक दूरी बनाकर रखें, जिससे बार-बार हाथ
न धुलना पड़े।
6- जल प्रयोग करने के बाद टोंटी को
अच्छी तरह से बन्द कर दें,
जिससे
बूँद-बूँद जल न टपके। 24 घण्टे में
बूँद-बूँद जल टपकने से लगभग 24 लीटर जल बर्बाद हो जाता है।
जल बचाओ-जीवन बचाओ
रणविजय जी एक बार हाथ धुलने मे 4ली यह बहुत ज्यादा नही है?
ReplyDeleteWHO के मानक के अनुसार ज्यादा नहीं है।सर।।
ReplyDeleteध्यातव्य हो कि SUMANK विधि से हाँथ धुलने में इतना जल लग जायेगा।