हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे

अभावग्रस्त इस तंत्र से
न निराश हो न हताश हो
दूर हटाओ जो खटास हो

मन साफ कर,बढ़ा हाथ,साथ चल
तक़दीर बदल देंगे
तू हाथ बढ़ाना साथी
हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे।

स्याह पन्नों की पुस्तक को
मेहनत की गाढ़ी बूँदों से
दिन-प्रतिदिन कुछ जोड़-जोड़
धवल गिरि-सा गढ़ देंगे।
तू हाथ बढ़ाना साथी
हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे।

शिक्षक मन किसी कोने में
कुंठित हो जो सो गया है
जिसका है हक़दार वो
सम्मान कहीं जो खो गया है
तोड़ नींद और उठा कलम
दीवार नहीं बुनियाद बदल देंगे
तू हाथ बढ़ाना साथी
हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे।

शिक्षा निर्झर बहता जल है
रुकना इसका काम नहीं
उसी तरह हे शिक्षक बंधु
रुकना तेरी शान नहीं
शिक्षा का उत्थान जहाँ है
शिक्षक का सम्मान वहीं
जब है साथ शिक्षण संवाद
हर तरक़ीब बदल देंगे
तू हाथ बढ़ाना साथी
हम शिक्षा की तस्वीर बदल देंगे।

रचयिता
तिलक सिंह,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रतरोई,
विकास खण्ड-गंगीरी,
जनपद-अलीगढ़।
   

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