उसका नाम श्रमिक

दिन रात परिश्रम की बेदी पर,
अर्पित करता है जीवन।
ना फिक्र कभी तन, काठी की
उद्देश्य प्राप्ति में रहता मन।।

है राष्ट्र उन्नति की नींव वही,
करता नही जो आराम क्षणिक।
तन मन से कार्य में जुटता जो,
हे मित्रो! उसका नाम श्रमिक।।

हो गृह निर्माण प्रक्रिया या,
बने मार्ग जहाँ चलता पथिक।
उद्योग हो या सेवा कोई,
हर ढाँचे का स्तम्भ श्रमिक।।

अभियंता, शिक्षक, लेखागार,
कई अन्य भूमिका है इसकी।
है कर्मवीर वह दुनिया का,
कर्मठता है पूजा जिसकी।।

दिन-रात प्रगति के पथ पर जो,
करता है राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त।
उस कर्मवीर को नमन हृदय से,
करता है यह संसार समस्त।।

रचयिता
विवेक चौहान,
ईंचार्ज अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय चंदूपुरा,
विकास खण्ड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।

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