माँ भारती वन्दना

भोर की पहली किरण से
खिल उठा धरती का आँचल।
सूर्य-बिन्दी भाल चमकती
मेघ बना नैनों का काजल।।

अभ्युदित रवि की छवि ने
प्रात की शोभा बढ़ाई।
प्रकृति रूपी नव वधू को
स्वर्ण चुनर है ओढ़ाई।।

हिम किरीट मस्तक सुशोभित
रजत मणि सम यह चमकता।
माता तेरा श्रृंगार अद्भुत
चंद्र सा मुख है दमकता।।

सुरभित सदा नवपुष्प तुझमें
उर की शोभा हैं बढ़ाते।
गिरि से गिरता स्वच्छ जल
अनवरत झरने तुझे चढ़ाते।।

सारी नदियाँ पग पखारे
पावन धरती माँ तुम्हारे।
सौम्य छवि माँ भारती की
मन में बसती है हमारे।।

रचयिता
रश्मि यादव,
प्रधान शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय देवगनमऊ,
विकास खण्ड-सफीपुर, 
जनपद-उन्नाव।

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